युत्कयनुशासन | Yktyanushasan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भस्तावनां
ग्रन्थ-नाम
इस प्न्थका सुप्रसिद्ध नाम 'युक्त्यनुशासन' है । यद्यपि
न्थकें झादि तथा श्रन्तके पद्योमे इस नामका कोई उल्लेख
नहीं है--उनमें ९पष्टतया वीर-जिनके स्तोत्रकी प्रतिज्ञा और उसी
की परिसमाधिका उल्लेख है, श्रौर इससे प्रन्थका मूल श्रथवा
प्रथम नाम 'वीरजिनग्तोत्र' जान पढ़ता है--फिर भी प्रन्थकी
उपलब्ध प्रतियों तथा. शास््र-भरडारोंकी सूचियों में 'युक्त्यलुशा-
सन' नामसे ही इसका प्रायः उल्लेख मिलता है । टीकाकार भी-
विद्यानन्दाचायने तो बहुत स्पष्ट शब्दोंमें टीकाके मंगलपद्य, मध्य-
पद्य और अन्त्यपद्यमें इसको समन्तभद्रका 'युक्त्यनुशासन' नामका
स्तीत्रग्रन्थ उदूघोषित किया है; जैसा कि उन पद्योंके निम्न
वाक्यों प्रकट है :-
(“जीयात्ममन्तमद्रस्य स्तोत्र युक्त्यनुशासनम्') ‹१)
“‹स्तोत्रे युक्त्यजुशासने जिनपतेवीरस्य निःशेषतः'' (२)
“'्रीपद्वीरनिनेश्वगऽमलगुणस्तोत्रं परीदेदशेः
साचतारस्वामिसमन्तमद्रगुरुभिस्तत्वं समीरयाऽखिलम् ।
प्रोक्त युक्त्यनुशासनं विजयिभिः स्याद्वाद मार्गाचुग ;**(४)
१ “-स्तुतिगोचरतं निनीषवः स्मा वयमद्य वीर'(१);“नतगान्नः स्तोत्र
मवति भवपाशच्छिदि मुनौ (६३); “इति ` `स्तुतः शक्त्या श्र य; पद्-
मधिगतस््वं जिनं मया । महावीरो बीरा दुस्तिपरसेनाभिविजये” (६४) ।
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