गांधीजी - जैसा मैंने देखा | Gandhiji Jaisa Mainne Dekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ गांधीजी- जैसा मेनि देखा
उस श्रादमी के कोमल तनमे घ्रस गई, जिसने संसार में किसी को
टश्मन नहीं जाना था । उन्दने मूले हए हत्यारे कौ ग्रार करुणाभरी
निगाह से देखा श्रे।र श्रन्त मं भगवान् का नाम लेकर गिर पड़े । वह
७८ वर्षीय सक्रिय जार सशक्त मानव-शरीर, क्षण-भर में टेर हो गया
जिसने जीवन मे सावघान शुश्रूपा प्राप्त को थो, जो उच श्नुशासन
का” पालन करता था, च्रे।र उम महाशक्िमान् की टद् इच्छा-शननिः
के अनुसार चलता था ।
उन्हें उठाकर उनक कमरे में ले जाया गया; कितु गोली लगने
के श्राध घरटे के श्रन्दर ही उनका श्रायन्त हो गया |
प्रार्थना-भूमि पर बड़ी घबरादट छा गई । हत्यारे को वहीं पकड़
लिया गया अ्ौर भीड़ को हटा पिया गया ।. अर्द ही सारी दिल्ली
की सभी दिशाश्रा से बिड़ला हाउस को श्रोर भोड़ का तॉता बेध
गया । इस भीड़ को भातर पढुचने से रोकना; सचमुच बहुत कठिन
था | पं० जवाहरलाल ने भीड़ को सम्बाधन करते दुए भावुकतापू्ण
शब्द् वहे ; पर उसका सर थोड़े समय तक ही रहा । जब बापू का
राव पहली मंजिल पर ले जाकर, जनता कौ दृष्टि क॑ सामने रखा गया,
तो जनता उनके अन्तिम दर्शन करके धीरे ध।रे हर ।
सरदार पटेल वहां सब से पहले पढ़ुचे थ्र। पर्डित जवाहरलाल;
श्रन्य मन्त्रियों अर सपत्नीक लाड माउण्टवेटन तथा सभी महत्वपूर्ण
व्यक्तियों को; भीड़ चीरते टुए श्न्दर श्राना प्रा । आने चेहरे पर
असीम कष्ट लिये, गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदासजी स।र गांधीजी
के सेक्रेटरी श्रीप्यारेलाल नी दस प्रका प्व । शर्त्येष्टिक्रिया के
बारे में उन सब की विधि-रह्ित मीटिंग हुई, जिसमें यह निश्चय किया
गया कि यद्द क्रिया कब, किस रूप में श्रार किस कार्यक्रम के साथ
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