गांधीजी - जैसा मैंने देखा | Gandhiji Jaisa Mainne Dekha

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Gandhiji Jaisa Mainne Dekha by रंगनाथ दिवाकर - Rangnath Diwakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ गांधीजी- जैसा मेनि देखा उस श्रादमी के कोमल तनमे घ्रस गई, जिसने संसार में किसी को टश्मन नहीं जाना था । उन्दने मूले हए हत्यारे कौ ग्रार करुणाभरी निगाह से देखा श्रे।र श्रन्त मं भगवान्‌ का नाम लेकर गिर पड़े । वह ७८ वर्षीय सक्रिय जार सशक्त मानव-शरीर, क्षण-भर में टेर हो गया जिसने जीवन मे सावघान शुश्रूपा प्राप्त को थो, जो उच श्नुशासन का” पालन करता था, च्रे।र उम महाशक्िमान्‌ की टद्‌ इच्छा-शननिः के अनुसार चलता था । उन्हें उठाकर उनक कमरे में ले जाया गया; कितु गोली लगने के श्राध घरटे के श्रन्दर ही उनका श्रायन्त हो गया | प्रार्थना-भूमि पर बड़ी घबरादट छा गई । हत्यारे को वहीं पकड़ लिया गया अ्ौर भीड़ को हटा पिया गया ।. अर्द ही सारी दिल्ली की सभी दिशाश्रा से बिड़ला हाउस को श्रोर भोड़ का तॉता बेध गया । इस भीड़ को भातर पढुचने से रोकना; सचमुच बहुत कठिन था | पं० जवाहरलाल ने भीड़ को सम्बाधन करते दुए भावुकतापू्ण शब्द्‌ वहे ; पर उसका सर थोड़े समय तक ही रहा । जब बापू का राव पहली मंजिल पर ले जाकर, जनता कौ दृष्टि क॑ सामने रखा गया, तो जनता उनके अन्तिम दर्शन करके धीरे ध।रे हर । सरदार पटेल वहां सब से पहले पढ़ुचे थ्र। पर्डित जवाहरलाल; श्रन्य मन्त्रियों अर सपत्नीक लाड माउण्टवेटन तथा सभी महत्वपूर्ण व्यक्तियों को; भीड़ चीरते टुए श्न्दर श्राना प्रा । आने चेहरे पर असीम कष्ट लिये, गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदासजी स।र गांधीजी के सेक्रेटरी श्रीप्यारेलाल नी दस प्रका प्व । शर्त्येष्टिक्रिया के बारे में उन सब की विधि-रह्ित मीटिंग हुई, जिसमें यह निश्चय किया गया कि यद्द क्रिया कब, किस रूप में श्रार किस कार्यक्रम के साथ




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