साम्राज्यशाही के कर्णाधार | Samrajyashahi Ke Karnadhar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : साम्राज्यशाही के कर्णाधार  - Samrajyashahi Ke Karnadhar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal

Add Infomation AboutHanuman Prasad Goyal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
६ | लोग है । कितने ही मज्ञदूर-राष्ीय श्रौर लिबरल-राघ्रीय सदस्य इस टोरी सरकार के पक्त मेंश्रपना वोट देने से एक बार भी पीछे नद्दीं हरे है | ११ त्रसु, वतमान सरकारी पक्त को ( जो श्रपने को 'राष्ट्रीय पच्ष' के नाम से पुकारता दै), पुस्तक मं “टोरी' के नाम से पुकारा गया है। हिन्दी मं दमने टीरः शब्द के वजाय श्रनेक स्थानां पर श्रनुदारः शब्द का भी व्यवद्दार किया हं। पाठकगण कृपया उससे “टोरी' शब्द का ही मतलब समम्हेंगे। साथ दी जहाँ मूल पुस्तक में लाड, नोबुलमेन, पियर (1266178) और बेरन (1391707) लोगों का जिक्र ग्राया है वहाँ हमने इनके लिए नवाबः शब्द का प्रयोग किया है, कारण कि इनके रदन-सहन, विचार श्रोर सिद्धांत हमारे यहाँ के नवाबां से बहुत कुछ मिलते-जुलते है, श्रौर इसस श्रधिक उपयुक्त काइ दुसरा शब्द हमं हिन्दी मं नदीं समभ पड़ा | अंत में इतना श्रोर बतला देना श्रावश्यक जान पढ़ता है कि पालिमंट श्रोर मंत्रि-मंडल का जो स्वरूप दिसम्बर सन्‌ १६३८ में था, उसी का वणन इस पुस्तक में दिया गया है । तब से उस में कुछ छोटे-माटे परिवतन भी हुए हैं श्रीर श्रागे हो भी सकते हैं उदा- दरणाथ मिस्टर चेम्बरलेन, जो उस समय प्रघान मंत्री थ) श्रव इस संसार मं नहीं रह गये श्र उनके स्थान पर एक दूसरं श्रनुदार सदस्य मिस्टर चार्चल प्रधान मंत्री हैं किंतु इस प्रकार के परिवतनों तर घटनाओं से पुस्तक के उन पॉरिणामा में कोई श्रंतर नदीं पड़ सकता, जो इस में निकाल कर दिखाये गय हैं, और जिन्दं दिखाने के उद्देश से दी यदद पुस्तक लिखी गई दे । दो चार व्यक्तियों के श्राने या जाने से संपूर्ण दल. के उद्देशों श्रौर सिद्धांतों में कोई श्रंतर नहीं पड़ता । --श्रनुवादक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now