दूध ही अमृत है | Dudh Hi Amrit Hai

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dudh Hi Amrit Hai by हनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal

Add Infomation AboutHanuman Prasad Goyal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रथम श्मघ्याय | হ तथा फ्रार्यों द्वाइडे टस की राचना होतो है। पड़ और पौधे इनका निमाण पपने शरीर में उपयेक्त तत्यों फो पएप्पी, मल और यायु में से शेकर किया फरते हैं | परचात्‌ सय मनुष्य झ्यया दूसरे प्राणी इन घन्पष्ठियो का स्ययं श्रा्ठर करसे ई, ठो परौ प्रोरीढ, फार्मोष्षडे घ तथा 'वर्गी उनफे शरीर में पहुँच कर धूखरा रूप घास्य कर लेती हैं! मूँग, उरद, मटर, अरइर, सोयाथीन आदि झनाओं में यनरपति मावीय प्रोटीए झ्रत्यधिर मात्रा में पायी माती ऐ । (२) चर्षी --धरसों, अलसी, मगफशी, तिल द्यादि फे रेष प्रमस्पति ज्ञातीम शर्ग्ी फे उदाहरण ई६। धी, मस्सन, काट लिवर आयल्ष इत्यादि जानपरों की पर्यी के उदाएरण हैं । शिस समय মীন में चर्यी का माग प्रायर॒यकता से अधिफ हो भाता ऐ तो वह शरीर में एफश्र ता रद्दता र] इससे शरीर में स्मूलता थाने लगती ऐ। शप शरीर को मोजन नहीं मिलदा तो यद पहले इसी ्वपीं फो पचाता है। पिश्लेपण द्वाय देसने से चर्थी में कायन, शाइडट्रोशन तथा झाक्सीनन नामक तरपों का सम्मिभण पाया जाता হি (3) फावाद्ाइडे ट--चीनी और स्टाचे (भ्रपात्‌ माड़ी) इत्यादि कार्योशइडे ट्स फे उदाहरण हैं। यद पदाय भालू चायल, मैदा) नौ इस्पादि में यटुत पाया जाता है। भोजन पे समय इसरी पाचन क्रिया मुण्प में दी भ्रारंभ पजाती है | मुठ की सार फे साथ मिल कर इसमें एक प्रकार का रासायनिस परियतेन दोने लगता है, जिससे মহ দানী फा रूप धारण कर क्षेता ऐ और पेट में पहुँच फर सरलतापूमक पथ जाता है। प्रापर्यफता से शझ्रधिफ होने पर यद्द भी शरीर में घर्यी बन ष्र्‌ एकप टता रष्वा र। दइमारे सोजन में प्रायः इसो पदाथ को प्रधातता रहती ऐ । इससे शरौर में गरमी झ्यौर झांत पशियों को शक्ति मिलती है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now