आबू | Aabu

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Aabu by मुनि विद्याविजय - Muni Vidyavijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० ] वक्छत्य रिवाज के अनुसार, उन दंडं के उपर मोषरा नही , बनाया जाता था । २--कोतरणी में क्या देखा जाता है? चेत्यवंदन; गुरु- वंदन) पैर दबाना ( भक्ति करना ); सांग नम- स्कार, व्याख्यान के समय ठवणी का रखना, गुरु- का शिष्य के सिर पर वासक्षेप डालना आदि अनुष्ठान क्रियाएँ कसी दिखती हैं ? क्या उस समय की और इस समय के क्रियाओं की तुलना करने. का यह साधन नहीं है ? रे--उसी नक़्शी में राज-सभाएँ, जुलूस ( प्रोसेशन ) सचा- रियां; नाटक, ग्राम्य जीवन, पशु पालन, व्यापार, युद्ध आदि के दृश्य भी दृष्टिगोचर होते हैं। ये वस्तुएं उस समय के व्यवहारों का ज्ञान कराने में बहुत उपयोगी हो सकती हैं । ४-इसी प्रकार जेन मूर्ति शासन किंवा जेन शिल्प शद्ध का अस्यास करने किंवा अनुभव प्राप्त करने का भौ यहां अध्व साधन हे । रिन्दी किन्दी मूर्तिों अथवा परिकरा को देख करके तो बहुत ही आर्थ उत्पन्न हाता ह । उदाहररसथ-भीमाराह कै माद्र म मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान कीं




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