साहित्य - सीकर | Sahity - Sikar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महावीरप्रसाद द्विवेदी - Mahaveerprasad Dvivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेद १५.
्श
अदृश्य रहते हैं तो भी ठीक नहीं । क्योकि, इस दशा में, यदि दस
जगह मिन्न-मिन्न यज्ञ होगे तो एक शरीर को लेकर वे कहाँ-कहाँ जायेंगे १
प्रतएव मन््र को दी देवता सान लेना चाहिए] परन्तु इस विषयमे
श्र अधिक न लिखना दी अच्छा है।
वेदिक समय मे पशु-दिसा बहुत होती थी । यज्ञो में पशु वंहुत गारे
जाते थे । उनका मास भी खाया जाता था । उस समय कई पशुत्रों का
मास खाद्य समा जाता थषएट। उनके नाग निहश की श्रावश्यकता
नहीं । इस विपय के उल्लेख जो वेदों में पाये जाते हैं उन्हें जाने दीजिये ।
महाभारत में जो चर्म्मणव॒ती नदी श्रौर रन्तिदेव याजा काजो वृत्तान्त है
उसे ही पढने से पुराने जसाने की खाद्याखाद्य चीजों को पता लग जाता
है | सोमरस का पान तो उस समय इतना होता था जिसका ठिकाना
नहीं । पर लोगो को सोमपान की श्रपेत्ता हिंसा श्रधिक खलती थी ।
इसी वैदिकी हिंसा को दूर करने के लिए गौतम बुद्ध को “'श्रहिंसा.
परमोधर्स्म:”” का उपदेश देना पढ़ा |
सामवेद के मन्त्र प्रायः ऋग्वेद ही से लिए गये हैं । सिफ उनके
स्व॒रों में भेद है । वे गाने के निमित्त रलम कर दिये गये हैं । सोमयज्ञ
मे उद्गाताओओं के द्वारा गाने के लिए ही सामवेद को थक करना पड़ा
दै । सामवेद मी यज्ञ से सम्बन्ध रखता है श्रौर यजुवद मी । सामवेद
का काम केवल सोमयज्ञ से पडता है । यजुवद मे सभी य्ञौँ के विधान
त्रादि दै । साम की तरह यज्ञवंद मी ऋग्वेद से उद्धूत किया गया हे,
पर, हो, साम की तरह प्रायः बिल्कुल दी ऋग्वेद से नकल नद्दी किया
गया । यजुवेंद ( वाजसनेयि-संहिंता ) का कोई एक चठुधाश मन्त्र भाग
ऋग्वेद से लिया गया है । शेप यजुवेद ही के ऋषियों की रचना है ।
यजुर्वेद में गद्य भी है, साम में नहीं । क्योंकि यह गाने की चीज है |
यज़ुर्वेद के समय में ऋग्वेद के समय की जैसी मनोहारिणी वाक्य रचना
ज
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