जीवन संग्राम में विजय-प्राप्ति के कुछ उपाय | Jivan Sangram Mein Vijay Prapti Ke Kuch Upay

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Jivan Sangram Mein Vijay Prapti Ke Kuch Upay by पं. माधवराव सप्रे - Pt. Madhavrao Sapre

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२... जीवन-संग्राम में विजय-प्राप्ति के कुछ उपाय । करते हूं परन्तु वे समय की कुं परवा नहीं करते । लेकिन समय घन से भी झधिक सूटयवान्‌ है । गया हुझा घन मिहनत करने से फिर भी मिल सकता है, भूछी इुई विद्या पठन से. फिर भी झा सकती है, बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य थी कभी कभी झौषधघ द्वारा छुधर सकता है, परन्तु गया इुझा समय दमका हज़ार खिर पटकने पर भी, कभी नहीं मिल सकता । इंगलंड की जगद्धिख्यात महारानी इलीज़ाबेथ का जब स्त्युसमय निकट आया तब वह चिल्ला उठी “यदि कोई मुझे क्षण भर के लिए बचा दे तो वह झसंख्य घन पावे । ” परन्तु अब पश्चात्ताप करने से क्या हो सकता था ! अपने जीवनकाल में तो उसने पेसे सैकड़ों क्षण” की कुछ॒परवाह नहीं की थी. अब चाहे वह झसंख्य घन और सारा राज्य दे देती तो भी गया इड्मा समय फिर कैसे मिल सकता था ? यदि कुछ मि सकता था तो पश्चात्ताप !! स्मरण रहे कि समय की कीमत न सममने के कारण पक दिनि हमं भी घोर पश्चात्ताप करना पड़ेगा । किसी ने सच कहा है:-- “पु 6 0०165 6 {07650 8४61201 18617 6210060 7601696 ` जिन रो का हम खो देते हँ उन्दं हमे फिर दिखने की ` शक्ति संसार मं किसीके नही है। गया हश्रा समयन तो बुढाने से राता है न खरीदने से मि सकता है । यदि समय इतन बहुमूल्य है तो हमे उचित है किं, हम पवः पट मी व्यर्थ न जनेदे | समय का महत्त्व तो इतना भारी है, फिर हम उसे खो कैसे देते है १ केवल अपनी . असावघाबी श्चौर रााट्ूटी की अदत से । देखिप ( ९) दम खवेरे का समय यह सोचकर ¦




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