अग्नि पथ | Agani Path
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हाय क्यो वि? ५
तुमसे शादी नही कर सकता ।'' ओौर यद् कहते-कहते उमा खिला-
खिलाकर हंस पडी ।
भे उससे नही, अपने माता-पिता से कहूगा कि वह् लडकी
मुसे पसद नहीं है 1
“हाँ, यह ठीक है । तो अब मैं जाऊं ? जीजी ढूँढ रही होगी
मुझे । बडी देर हो गई ।” और वह चलने लगी ।
पर युवक ने उसका रास्ता रोकते हुए व्यग्रता से पूछा--
“तुमने मुझे तो वचनवद्ध कर लिया पर अपनी वात भी तो
कहो । 3)
मै? मै वया कहू, मेने तो तुम्हे अपना पति मान लिया
त 1 2)
“तुमने तो मान लिया, पर तुम्हारे माता-पिता नही मानेगे
तव 2
“उन्हें मानना पड़ेगा । मैं कह दूंगी कि मै जीजी के देवर
जी से शादी करूँगी और किसी से नही ।”
युवक को मानो अव भी विश्वास नही हो रहा था । उसने
हिम्मत करके हौते से उसका हाथ अपने हाथ मे लेने का प्रयत्न
किया और कहा--
“उमा ! तुम अपनी वात पर टट रह सकोगी ? तुम्हारा
वादा पवका है?
“हाजी हां, पक्का । वित्वुल पक्का 1 वेया तुम्हे विश्वास
नही होता ?
“होता है 1”
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