अग्नि पथ | Agani Path

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Agani Path by अमरचन्द्र - Amarchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हाय क्यो वि? ५ तुमसे शादी नही कर सकता ।'' ओौर यद्‌ कहते-कहते उमा खिला- खिलाकर हंस पडी । भे उससे नही, अपने माता-पिता से कहूगा कि वह्‌ लडकी मुसे पसद नहीं है 1 “हाँ, यह ठीक है । तो अब मैं जाऊं ? जीजी ढूँढ रही होगी मुझे । बडी देर हो गई ।” और वह चलने लगी । पर युवक ने उसका रास्ता रोकते हुए व्यग्रता से पूछा-- “तुमने मुझे तो वचनवद्ध कर लिया पर अपनी वात भी तो कहो । 3) मै? मै वया कहू, मेने तो तुम्हे अपना पति मान लिया त 1 2) “तुमने तो मान लिया, पर तुम्हारे माता-पिता नही मानेगे तव 2 “उन्हें मानना पड़ेगा । मैं कह दूंगी कि मै जीजी के देवर जी से शादी करूँगी और किसी से नही ।” युवक को मानो अव भी विश्वास नही हो रहा था । उसने हिम्मत करके हौते से उसका हाथ अपने हाथ मे लेने का प्रयत्न किया और कहा-- “उमा ! तुम अपनी वात पर टट रह सकोगी ? तुम्हारा वादा पवका है? “हाजी हां, पक्का । वित्वुल पक्का 1 वेया तुम्हे विश्वास नही होता ? “होता है 1”




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