कुब्जा सुंदरी और दूसरी कहानियां | Kubja Sundari Aur Doosari Kahaniya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : कुब्जा सुंदरी और दूसरी कहानियां  - Kubja Sundari Aur Doosari Kahaniya

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य - Chakravarti Rajgopalacharya

No Information available about चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य - Chakravarti Rajgopalacharya

Add Infomation AboutChakravarti Rajgopalacharya

श्री शान्ति भटनागर - Shri Shanti Bhatnagar

No Information available about श्री शान्ति भटनागर - Shri Shanti Bhatnagar

Add Infomation AboutShri Shanti Bhatnagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ज ____ -----------------~~ ५ वः का द,» एक दिन पक्जां ने अचानक कहा--''अद्ध॑नारी / में तुम्हारी मा से मिलना चाहती हूँ । हमने तय किया है कि तुम एक हफ्ते की छट्टी लेलो और हमारे साथ कोयमुत्तूर, उटाकमन्ड और दूसरे स्थानो की सैर करने चलो । तुम्हारी क्या राय है ?” गोविन्द राव ने भी कहा--'आजकल दफरर में काम ज्यादा नहीं है । अगले महीने के पहले हफ्ते मे चलना सवके लिए ठीक रहेगा ।”' अद्ध॑नारी का हृदय घडकने लगा । उसने कहा-- “हाँ, हाँ, हम ऐसा कर सकते है, लेकिन मेरे पास आज हो घर से चिट्ठी आई हैं जिसमें लिखा है कि गाँव में बडे ज़ोरो से हैज़ा फंउ रहा हे ।' यह सुनकर पकजा को वहत चिन्ता हुई । “हैजा 1 उस्न चवरा- हट के साथ कहा ] “क्या तुमने अपने सम्बन्धियो को वर्हा से दूसरी जगह जाने को लिख दिया हू * उन्दे यही आनं को क्यो नही लिख देते ?” मै मभी-अभी यही लिखने को सोच रहा था,” अद्धभनारी * उत्तर दिया । तीन दिन बाद अद्ध॑नारी को रग का एक पत्र मिला, जिसमें लिखा था- छोटे भाई मरद्धनारी को आशीर्वाद ! यहाँ बडे ज़ोरो से हेज़ा फेल रहा हैं। बहुत-से छोग मर चुके हैं और हमे भी घबराहट हो रही है । पिता जी का पहले ही जैसा हाल है, वह हमारी सलाह नही मानते । इस महीने तुमने जो रुपया भेजा था वह सब खतम हो चुका है। हम मोच रहे हें कि अगर तुम ३०) और सेज सको तो हम मकान में ताला डालकर जव तक दे का खतरा दूर न हो जाय तब तक के लिए सेम चके जाये। तुम्हारा सस्नेह, रग ॥ 2




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now