तेरापंथ मर्यादा और व्यवस्था | Terapanth Maryada Or Vyavastha

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Terapanth Maryada Or Vyavastha by मधुकर मुनि -Madhukar Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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„ २२ भिक्षु गण नदन-वन +. र३े टालोकर प्रकति चियण $ २४, र५ संघ स्तवना + २६मधमे रहते दए दोप का प्रायश्चित्त कंसे मौर कितना ? + २७ उच्चता की परख + २८ दुष्कर्मो का दुष्परिणाम + २६ ईप्या परिहारिणी शिक्षा „ ३० गुण प्रसा + ३१ साघक प्रशसा „» ३२० ३३ सयम शिक्षा ४ उपदेदा रो चौपो इस कति में उपदेशात्मक विविध विपयो पर १५ दालें हैं, जिनके २४३ प्य हैँ। मत मे गोता के १२ व अध्याय के कुछ इलाकों का. मनुवाद है। कई ढालो के अत मे नाम तथा रचना सबत, स्थान आदि का उल्लेख नहीं है । इसम कुछ पद्य इतने मामिक हैं कि सीघी चोट करते हैं । प्रमादी व्यक्ति को चेतावनी के कुछ पद्यो का हाद इस प्रकार है-- बडा” माइचय है कि राग, जरा बोर मरण जसे तीन तीन भीषण शन_ तुम्ह्वारे पीछे चले भा रह हैं । यह्द ता इनसे छुटकारा पाने के लिए पलायन का अवसर हे, फिर भी अरे मूख ! तुम सोए पड़े हो ? ० चाद भौर सूरज दा बेल हैं, दिन भर रात्रि घडमाल हैं। जलरूपी भायु कम होत जा रहा दे । यह मत्यु एक विकराल रह है ।' ढाल दूसरी म--सुमति और घुमति का पाथवय दिखलान को दृष्टि से देवरानी सौर जेठानी का रूपक अपन दयक्रा एक नया उपक्रम है 1 सुपात्र मौर बुपातश्र के नीर्‌ क्षीद विवेक सम्ब घी कुछ पद्यों का निष्क्प इस प्रकार है-- 22220] १ ० तोन भरि सारे लाया रोण जरा मरण जान । ण -दासण र अदषरे क्यु मूतो मूढ अयाण॥ ° बलदजेम चद सूर छ दिवस रात्रि घडमात। जल मायु मोषा कर, ए काल रेट विकराले ॥ २ उष्देण रो चोपो, दतर, गा० १५




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