चन्द्रप्रभ - चरित | Chandraprabh - Charit

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Chandraprabh - Charit by पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१३] रायने स्वयं इस अन्थकी एक कर्णाटकी-वृत्ति वनाई थी । अतः चामुण्डरायके समयमें ही नेमिचन्द्र हुए हैं, यह निर्विवाद है । चामुण्ठराय गंगवंशीय राजा राचमछ्के प्रधान मंत्री और सेनापति थे । राचमछ्कके भाई रक्कस गंगराजने शक संवत ९०६ से ९२१ तक राज्य किया है और शायद रक्कस गंगराजके वाद ही राचमहको सिंहासन मिला था । कनदीमापाके प्रसिद्ध केवि रने शक संवत्‌ ९१५ मे “पुराणतिरक › नामक ग्रन्थी स्वना की है ओर उसने आपको रक्कस गंगराजका आश्रित बतठाया है चामुण्डरायकी भी अपने पर विशेष कपा रहनेका वह भिकर करता है । कर्णाटरककविचरितके कर्तानि चामुण्डरायका जन्म शक्‌ सवत्‌ ९०० के लगभग वतलाया है । इन सच वातो र॒क.संवत्‌ ९०० के ठगमग चामुण्डरायका समय सिद्धं हेता है ओर यही समय नेमिचन्द्र्‌ सिद्धात्तचकवर्तीका भी समझना चाहिए । ऊपर यह कहा ही जा चुका है कि झुक संवत ९४७ में वादि- राजने वीरनन्दिका उद्लेख किया है । अत एव इससे पहले शक संवत ९०० या विक्रम संवत्‌ १०३५ के ठगमग वीरनन्दिका समय समझना चाहिए । विकमकी ग्यारहवीं शताब्दिके प्रारंभे वे इस धरामण्डटको सुशोभित करते थे । वीरनन्दि नामके अनेक विद्वान्‌ हो गये हैं । एक वीरनन्दि ' आचार- सार › नामक यत्याचारन्थके प्रणेता भी है; वृहदरवयसंगरहकी मूपिकामे पं० जवाहराठजी शाखछ्रीने उन्हं ओर चन्द्रपरभकाव्यके कर्ताको एक ही . बता दिया है; परन्तु यह श्रम है। वे मेघचन्द्र त्रेवियदेवके शिष्य ये # चृद्द्रव्यसंग्रहकी भूमिकामें साहित्यशात्री पं» जवाहरलालजीने नेमिचन्दरका सधय दाक संवद ६०० सिद्ध किया है; परन्तु उसमें जो प्रमाण दिये गये दें, वे सब ऊँटपटंग हैं-उनमें कोई तथ्य नदीं `




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