श्रेणिकचरित्र | Shrenikcharitr
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
396
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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४ श्रणकचारने । ¦
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श्रीवरदधमानमा्दं मौ मि नानारुणाकरं |
क ९ © $
विद्युद्धध्यानदीप्ताचिहुतकमेसमुच्चयं ॥
गु्ध्यानरूपी देदीप्यमान अम्नसे समस्तकमोकि समूह
को जलानिवाढे, अनेकगुणोंक आकर आनंदके करनेवाढे
श्रीवद्धमान स्वार्मीको मैं नमस्कार करता हूं ॥ ? ॥ जिस
भगवानने बाल्यअवस्थामें ही मुनियोंका संदेह दूर करनेसे श्रेष्ठ
विद्वत्ताको पाकर सम्मतिनामकों घारण किया | जिस भगवानने
वाल्य अवस्थामें हो मायामयी सर्पे मदन करनेसे महा ओरनाम
ग्राप्त किया,और जो वाह्य अवत्थामें ही अत्यंत यको पाकर वीरो
के चार कहठाये । जिसभगवानने मनुष्यठोकसंबंधी बड़े भारी
राज्यको भी, जीर्णतृणके समान समझकर; छोड़. दिया एवं जो
दीक्षा भारण कर समस्तरोकके वंदनीय हुये । तथा ओ महाबीर
भगवान केवज्ञान केवलदररीनकों प्रकाशकर धर्मरूपी सपति
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