तत्वार्थ सूत्र | Tatvarth Sutra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मी सोलह त जितना ओर जो कुछ साहित्य पढना पड़ा, समुचित परिवतंन के लिए जो कुछ ऊद्टापाह करना पड़ा और अन्य व्यावहारिक बातों को युलक्ञाना पडा, यह सत्र श्री माल्वणिथा ने स्वय स्फूति से किया है। हम दोनों का जो स्रन्ध है वह आभार मानने को प्रेरित नहीं करता । फिर भी इस बात का उल्लेख इसीलिए करता हूँ कि जिज्ञासु पाठक वस्तुस्थिति जान सक । प्रस्तुत तृनौय सस्केरण की प्रस्तावना मे केवर अगस्त्यसिहचूणि का तथा नयचक्र का निदेश बढा दिया गया है जो सूत्रभाष्य को एक- कतूंकता को सिद्ध में सहायक है । विवेचन में ध्यान ( ९ २७ ) सूत्र की व्याख्या में भाष्यकार के उस मत का टिप्पणी में निर्देश किया गया है जिसका अनुसरण किसी ने भी नहीं किया | -सुखलाल




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