श्रीमानव मित्र रामचरित्र | Shrimanav Mitra Ramcharitra
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९३)
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धन
आन तो खूब आछी गोर ब्देलायगा । पण र्वनि
देखने तो छोटा कुँबर रे तो चूँक घठगी । फ्यूके रोखंडा
री खाठरो तो वणी काडकडो पाध राख्यो दो । मनां यै
खोपदियां री काना में योरयं लटकाय राखी ही !
कानरु पोत्यो ब्े'उद्यो रद्ध दो । गडारा पेडा सरीखी
आखां फिरी ही । सादरा स्खडा सरली रबी ही,ने
माथारा लटूर्था खजूर रा फणंगा री नाई विलर रिया हा,
ने हाइका रा गेणा पेर राख्या हा, ने चंदन री नाई
डोलरे छोही चोपड़ राख्यो हो, ने उँटड़ा ज्यू तापड़ री
ही, जीं मोरा छाती पे उछ उच्छ ने पटकाय रिया हा ।
यू बेंड्ा सी नांई बींने कूदती देखने राम भगवान भी
मु्क रिया हा । पण विश्वामित्रजी बड़ी ओशान शु. देख
रिया हा, के यां वारकां रे रणाय मी पाडे । पण वारकां रे
तो अजयो नयो ही तमराशो नजर आयोदो, सो
हंस रिया हा |
जदी श्िश्वामित्रजी कियो के बेटा राम, अणी री
नेरपाई नी राणी चात्रि । या बड़ी जोरावर दे, सैंक्ड़ा
मनखां ने बालयचां सेती खायगी हैं। बड़ा बड़ा शूरमा
रणी. री काण माने हे । पण शापां तो तीन हां ने या
अकेंली दे, जणी शँ भू भो एको दीज अणी शँ लड् ।
क्यू' के घरमयुद्ध री या हीज रीत हैं ।
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