अर्हत पार्शव और उनकी परम्परा | Arhat Parshav Aur Unaki Parampara

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Arhat Parshav Aur Unaki Parampara by सागरमल जैन - Sagarmal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लावा । कया के अनुनार उसमे णमोकारमन्त्र सुनवाया और वह मरफर घरणेन्द्र नामक देव हुआ । कमठ इस घटना के कारण लज्जित हुआ और जन-सामान्य में उसकी प्रतिष्ठा गिरी । फलत' वह पाचन का विरोधी वन गया । कथयानक के अनुसार कमठ मरकर मेघमाछी नामक देव हुआ और उसने जब पार््व॑नाथ साधना कर रहे थे अत्तिवृष्टि करके उन्हे उपसर्ग (कप्ट) दिया। उस समय धघरणेन्द्र ने आकर पार््भ को जल से ऊपर उठाया। परवर्ती पादर्न चरित मवन्धी विभिन्‍न गन्यो में भी इस घटना के वर्णन में भिन्नता है। पदमकीति के पाठर्ननाय चरित्र^० के अनुसार यवनराज को परास्त करने के पञ्चात्‌ पान कुगस्थल मेः निवास कर द वे । उसी समय उन्होंने अनेक लोगों को जर्चना की सामग्री लेफर नगर के नार जाति देखा 1 राजा रविकीति से पूछने पर ज्ञात हुआ कि उस स्थल से एक योजन की दूरी पर वनखण्ड में अनेक तापस निवास फरते है और कुशस्थल के निवावरी उनके परम बक्त है। पार्ट्ननाथ ने वहाँ जाकर देखा कि कुछ तपन्वी पचाग्नि नप कर रहे है। कुछ धघूस्-पान कर रहें है, कुछ लोग पांव के व वुज्नो पर लटके है और उनका यरीर अत्यत ङ्द हो गया है । उसी नमय पार्त्नने कमठ नामक एक तापम फो जगल से लकड़ी का एक योन लेकर यत्ने हृषु देवा । चहु ख्कडी को भग्नि मे डाठना दही चाहता था कि पाइवे ने उसे रोका और कहा कि इनमें भयड्ूर सप हैं । करोधबण कमठ ने उस लवंकड़ को चीरा और उसमे ने एक सर्प निकला, जो कि लवकड़ के चीरने के कारण क्षत- विभत हो चुका था । पा्द्व ने उसे णमोफारमन्त सुनाया और वह नागराजाओ के बीच वीरदेव वे रुप में उत्पन्त हुआ । उत्तरपुराण ! में गुणभद्रने इनी घटना को पार्व्वनायकै ननिहाकमे घटित हीना वत्ताया । मावदी नापमके स्पमे पावके नाना महीपाल का उल्लेख फिया है । उपयुक्त वटना के घटना-स्थक को केकर भी विविधता है। चउपनमहापुरिसचरिय में इस घटना को वाराणसी में घटित होना ताया गया है 1 जवकि उक्तरपुराण मे उमे पादवं के नाना के आश्रम मे घटित होना वत्ताया है 1 पदूमफीति ने पाश्वनाय चरि्मे इसे कुरस्य में होना वताया है। इसी प्रकार चउपनमहापुरिसचरिय




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