जैनसिद्धान्त संग्रह | Jainsiddhant Sangrah
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
466
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जेनसिद्धांतसप्रद [ १३
111
बचा
बख्ठावरकत पाठोंमें चैत्र सुददी ११, रामचन्द्ररुतमें चैत्र वद़ी
अमावास्या, निर्वीण आसन खड्टामन, निवाणस्थान सम्मेदाशिस्वर,
अंतर-इनसे पैंसठलाख चीरासीदजार वर्ष घाट हजार कोटी
वपरे गए १६९वं मछिनाथ भए |
अरनाथ ताथिफर, चक्रवर्ती और कामदेव तीन पदवीक
धारो भण |
१५-मद्धिनाधके कट दाक्रा चह ।
पहला मत्र विजय, जन्मनगरीं मिथिलापुरी, परिताका नाम
कुम्भ, माताका नाम रक्षता गमैतिथि चत्र युद १, जन्मतियि
मार्गागिर सुद्दी १, जन्मनक्षत्र भरनी, काय ऊरी ‹\ धनुष,
रग सुवण समान पीला, आयु ९१ हजार वधै, टीक्षातियि मार्ग्चिर
घुढी १२, दक्षावृक्ष अन्नाक, केवलनान तिपि पौष च २,
गणधर २८ रर्वाणतियि फाल्गुण सुदी ५४, निर्वाण आसन
खट्टासन र्वाणस्यान सम्मेदश्शिखर, अतर-दनर पाछ १४
लाख वर्ष गए * « वें श्री मुनिमुत्रतनाथ भण ।
माञनाय वाठव्रह्यवारौ मए न विवाह किया, न राज्य
क्रिया-कुमार अवस्था ही दीक्षा लो ।
र०-सुनिखुन्नतनाथके कछवेका चिद् ।
पहला भव अपराजित, जन्मनगरी कुशाश्रनगर अथवा
रानग्रह, पिताका नाम झुमित्र, माताका नाम पद्मावती, गे
तिथि श्रावण वदी २, जन्मतिथि वैशाख वदी ? ० , जन्मनक्षत्र
श्रवण, काय ऊच २० धनुष, रग इयाम अजननिर् समान,
आयु ३० दनार व, दीक्षातिथि वैशाख वदी {० दीक्षावृक्ष
User Reviews
No Reviews | Add Yours...