पंद्रह अगस्त के बाद | Pandrah Agast Ke Bad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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` 9. 3 पंद्रह अगस्तका उत्सव मैने १५ ग्रगस्तको लोगोंसे उपवास करने, प्राथना करने ग्रौर चरखा चलानेकीः बात कही है । लोग कहते हैं, “यह क्या है ? क्या यह्‌ रंज मनानेकी निशानी नहीं है ?'' लेकिन ऐसा नहीं है । दुःखका कारण यह है कि देशके दो टुकड़े हो गये हैं; लेकिन ब्रिटिश हुकूमत हिंदुस्तान छोड़ रही है, इस- लिए खशी मनानेका कारणमभी रहै। भ्राज उपवास रखकर और प्राथेना करके ग्रपने ्रापको पवित्र बनानेका हमारे पास बहुत बडा कारण है । ६ श्रप्रैल, १९ १४के दिन पूरी-पूरी खुरी मन।नका कारण भौजूद था, जब कि सारे देशमे जागरणको लहर फैल गई थी श्रौर हिदू-मूसल्मान श्रौर दूसरे लोग बिना किसी भेद-भाव या शक-शुबहेके श्रापसमें प्रेमसे मिलते थे । लेकिन उस दिन भी मैंने लोगों को प्राथना करके, उपवास रखकर श्रौर चरखा चलाकर उत्सव मनानेकी सलाह दी थी । भ्राज तो हमारे लिए ्रपने-ग्रापको भगवानके सामने भुकानेका बहुत ही ज्यादा बड़ा कारण मौजूद है, क्योकि भ्राज भाई- भाई श्रापसमे लड़ रहे टै, खाने श्रौर कपड़की भयंकर तंगी है, प्रर देशके नेताश्रोपर इतनी बडी जिम्मेदारीका बोभ श्रा पड़ा हे कि जिसके नीचे भगवानको कृपा के बिना मजबत-से- मजबत भ्रादमीकी कमर भी टूट सकती है । ° कुछ लोग १५ अ्रगस्तके दिन काले भंडे दिखानेका विचार कर रहे हैं । मै इसका समथेन नहीं कर सकता । उस दिन




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