धरती आकाश | Dharti Akash

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Dharti Akash by देवीदयाल चतुर्वेदी मस्त - Devidayal Chaturvedi Mast

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छठ हुए । तय इनका छाकार ऊँचा नहीं था । इनके दाँत श्तौर पंजे वहुत कमजोर थे । शत्रुओं से ये अपनी रक्ता नददीं कर सकते थे 1 परन्ठु उस समय तक या कि इनमें घुद्धि का पर्याप्त चिकास हो चुका था। बच ये 'पने श्गले पैरों का उपयोग सुजाओं | ... और द्ा्थों की तरदद फरने लगे. | - 2 थे । चढ़े मस्तिपफ ने अधिक चुद्धि और _स्थतन्य है.» दार्थों के द्वाय संसार - चिजय “पा का... श्ीगणेश मनुष्य का धार्मिक स्य फिया। घीरे- घीरे चद्द सारें संसार फा मालिक दो गया 1 प्रारम्भ फे इन प्राणियों की चहुत कम थानें में सावस ऐं । उत्तर-पश्थिम भारन पी शियालिक पदाद़ियों में ऐसे प्पनयरों फे दाँत मर सवड़े पाए यए एं, सिनकें इस समुप्य के पूछ सकते दैं । ये पुर्घतत चनसानुप थे । जर्मनी और साम्ट्रिया में भी चने ही दांत सौर लय पाएं गए हैं + हो मजुप्य के रूप में सुधार यावा में से थी पर्यत टैं, जो समय-समय लि




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