स्वप्न विज्ञान | Swapna Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.18 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. गिरीन्द्र शेखर - Dr. Girindra Shekhar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छपक्रमणिका ११ जसका कुछ-न-कुढ़ झाशय अवश्य है। यहीं कारण हे कि हमारे यहाँ सुस्वप दुः्स्वप्र भर स्वर के फलाफल पर इतना शषिक विचार होता है। यथपि हम वैज्ञानिक शिक्षा के बल पर स्वस को निर्मूल कह कर डड़ा देते हैं तथापि बहुत समय स्व इमारे हृदय में उत्तेजना उत्पन्न कर देता है इपे अस्वीकार नहीं किया जा सकता | सुसभ्य पाश्चात्य देशों में भी स्वप्त-विषयक अंधों की कमी नहीं है । उन पुस्तकों में भी माँति-भाँति के स्वम और उनका फलाफल लिखा हुआ है। यह सारे देश की पुरानी बात है कि स्वप्त में साँप देखने से लड़का होता है। इसी प्रकार स्वप् में जल से भरा हुषा पात्र देखने पर घन मिलता है लाल फूल देखने पर कष्ट ढोता है । इसी प्रकार के झनेक चिवरण इसारे संस्कृत ंधों सें भी पाये नाते हैं । आधुनिक पाश्चात्य स्वम-तत्व की झालोचना करने पर देखा जाता है कि वैज्ञानिकों में स्वप्त के कारण-निरणय की दो धाराएँ हैं । एक दल स्वर का कारण शारीरिक मानता है शऔर दूसरे का छनुमान है कि स्व का कारण मानसिंक-विकार है । निद्दावत्था में मेरे शरीर पर जल का एक बूँद गिरा मैंने स्वप्न देखा कि वर्षा हो रही है या में स्नान कर रहा हूँ। इस जगद पदले दल के वेज्ञानिक कहेंगे कि शरीर पर जल गिरने की अजुखूति ही मेरे स्वेंस देखने का कारण है दूसरे दल वाले इस पर आपत्ति करके कहेंगे कि हो सकता है जल गिरने की अनुभूति ने दी स्वस की सृष्टि की हो किन ऐसी थनुभूति से यह नहीं जाना जा सकता है कि मैं वर्षा होने का स्वप् देखूँगा या स्नान करने का | इसका कारण हूँने के लिए मन की छान-बीन करनी पढ़ेगी। सान छोजिए कहीं निमन्त्रण में देर से पचने वाली चीज़ें खाकर रात में सय-जनक स्व देखा किन्तु यदद सेरी सानलिक श्वस्था पर निर्भर करता है कि मैं स्वप् सें सिंद देखूं चोर देखूँ या भ्रूत देखें । इसलिए शारीरिक की भपेत्ा सानलिक कारण का अजुसन्घावन करने पर झणधिक फल होने को सस्मावना है ।
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