सुगम ज्योतिष प्रवेशिका | Sugam Jyotish Praveshika

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Book Image : सुगम ज्योतिष प्रवेशिका  - Sugam Jyotish Praveshika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छाकाश-परिचय १३ में कोई सड़क नही है न कोई मील के पत्थर लगे हैं तब यह मालूम कैसे पड़े कि पृथ्वी कितना चल चुकी झौर श्रव कहाँ है इस समस्या को हल करने के लिए--जिस मागगे पर पृथ्वी घूमती है--उस पर या उसके आसपास स्थित नक्षत्रों मे से २७ नक्षत्र चुन लिए गये है। ये स्थिर नक्षत्र हैं । ग्रह चन्द्र मगल बुघ वृहस्पति शुक्र दानि तो घूमते रहते हैं किन्तु नक्षत्र झपनी जगह स्थिर रहते हैं । इन २७ नक्षत्र से वहीं काम लिया जाता है जो मील के पत्थरों से लिया जाता है । यदि कोई मोटर दिल्‍ली से कलकत्ते के लिए रवाना हो श्र -हम कहें कि वह २७० वे मील पर है तो दिल्‍ली से कलकत्ते जो सड़क जाती है उसका नकणा पास में होने से हम तुरन्त यह जान सकते हैं कि इस समय मोटर कहाँ है । इसी प्रकार पृथ्वी के गोलाकार मा्गे को २७ नक्षत्रो में वाँटने की व्यवस्था इसलिए की गई कि श्राकाद्य में निश्चित स्थान का निर्देश किया जा सके । नक्षत्र--ये २७ नक्षत्र निम्नलिखित हैं १. भ्रथ्विनी १० मधघा १६ सूल २. भरणी ११ पर्वा फाल्युनी २०. पूर्वापाढ ३. कृत्तिका १२. उत्तरा फाहगुनी. २१. उत्तराषाद 7 ४. रोहिणी १३. हस्त २२. श्रवण ५. मुगणिर्‌ १४. चित्रा २२३. घनिष्ठा ६. शार्दा १४५. स्वाती २४ शतभिपा ७ पुनर्वसु १६. विदाला २५. पूर्वाभाद्र ८. पुप्य १७. अनुराधा २६ उत्तराभाद्र ४. भ्राइलेपा १८. ज्येष्ठा २७. रेवठी किसी समय वैदिक काल में उत्तराषाढ और श्रवण के बीच मे ग्रमिजितु नामक नक्षत्र की गणना श्रौर को जाती थी । किन्तु अब कही-कही जैसा कि ऊपर दिये गए ब्रह्म पुराण ्रीमद्भागवत झादि उद्धरणों से स्पष्ट है श्रभिजित्‌ की चर्चा आती है । किन्हीं- किन्द्दी ज्योतिप के चक्रो में भी अ्रमिजितु का प्रयोग किया गया है




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