नमस्कार महामन्त्र | Namaskar Mahamantra

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Namaskar Mahamantra by कैलाशचंद्र सिद्धान्तशास्त्री - Kailashchandra Siddhantshastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नमस्कार मत्रकी विशेषता १३ अपनी कम जोरी के कारण डरे बिना नहां रह सकते । फिर प्राय. लाग विपय कपायोकी पुष्टिके छिए हो लालायित रहते हैं, उसीके लिए वे मन्त्र साघना भा कर चंठते हैं । ऐसे छोग स्वभावसे ही डरपाक ओर कायर हुआ करते टं । उनम वह्‌ ददता नहीं होती जं] एक माधक्रमं हाना जरूर हे । 'कायं वा साधयामि शरीरवा पातयामि”-'करूगा या मशूगाः यह संकल्प करके जा इस मामपर उतरते हे वे ही सफलता भा प्राप्त करते हे । अत किसी भी मन्त्र साघकका जल्दबाजीसे काम नहीं छेना चाहिय ओर बहुत सोच समझकर हो इस मागमे पर रखना चाहिये तथा बिना किसी याग्य गुरुके झागे नहीं बढ़ना चाहिये । साघारणुतया मन्त्र शक्तिके विपयममे ये ऐसी बाते है जिनका ध्यान रखना जरूरी है, श्रीर उनके बिना मन्त्र शक्तिक्रा लाभ नहीं उठाया जा सकता | मन्त्र, मन्त्रशक्ति ओर उसकी साधनाके विपयम कुछ मोटी मोटी जानकारी करानके पश्चान्‌ अब प्रक्रत बिपयपर अति है । नमस्कार मंत्रकी विशेषता मन्त्र गाख्रकी टषटिसि नमम्कार मन्त्र विश्वके समस्त मन्त्रोसे अलीकिक दै । यह महत महीयान्‌! हे ओर “खघुता लघीयान्‌” है । अर्थात्‌ जदो यह कुद वार्तोमे महानस भो मदान्‌ है वहीं कुछ बार्तोमि यह छघुसे भी अतिशय लघु है-छाटोंसे भी अत्यन्त छोटा है। एक ओर इसकी शक्ति अतुल है, दुनियाकी काई ऐसी ऋद्धि सिद्धि नहीं है जो इसके द्वारा प्राप्त न की जा सके, किन्तु साधकका उन ऋद्धि सिद्धियोंको ओरसे निप्काम होना जरूरी है । कामना करके मन्त्रकी झाराघना करनेसे उनकी प्राप्रिमे सन्देह है, परन्तु निष्काम होकर मन्त्रकी साधना करनसे उनकी प्राप्ति सुनिश्चित है । जहाँ विश्वक अन्य मन्त्र कामना करनसे उसकी पूर्ति करत है वहीं यहद मन्त्र निप्कास हानसे सब कामनाओंकी पूर्ति करता है ।




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