कसाय पाहुडं भाग ७ | Kasaya Pahudam Bhag 7

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Book Image : कसाय पाहुडं भाग ७ - Kasaya Pahudam Bhag 7

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कैलाशचंद्र सिद्धान्तशास्त्री - Kailashchandra Siddhantshastri

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गुनाधराचार्य - Gunadharacharya

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फूलचन्द्र सिध्दान्त शास्त्री -Phoolchandra Sidhdant Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-परिचय परम प्रहृनतिधिम्पि स्थितिविमाक्ति और अलुम्गगविमक्तिस्य विचार कर आय हैं। प्रकममें प्रदेशिसस्िका विचार करना है। कर्मो का बर्थ होने पर तत्काल बस्पको प्राप्त दवानंदासे हान्पररणारि आठ या छाठ कर्मो को आं द्रस्प मिलता है इसकी प्रदेश संडा है। पद दो प्रह्ररक्य है--एक मात्र बस्जके समय प्राप्ठ दोशतात़ा द्रस्प कर दूसरा बस्घ बोंकर सच्ार्मे स्थित इस्य। रू बस्पके समय प्राप्त दोनेण्मनरे हम्पक्म विचार महाधस्पर्गें किया हे। यहाँ इऐ_सान बन्पक़े स्तथ सच्चार्मे स्थित जितना इृष्य होता हे इस सभदा दिचार किया गया दे। ससकें मी छानाबरणादि सब कर्मो की अपेश्य गिचार न कर यहाँ पर सात्र मोइलीयकर्मेड्ी भपेस्या दिचार किया गया है। मोइनीयकर्मके कुस भेद झ्ढाईंस हैं। सर्वे प्रथम इन भेरोंका झारूय शिय॑ दिव्य ओर बाबमें इन भेरोंका भाहूय शेकर प्रस्तुत अषिष्पर में विविध अमुयोगढारोके आक्ृयमे पदेशविमफति मर स्पज़ीपाक् विचार किया गया दे। माँ पर शिम्र झमुबोगद्टारेके भ्राभयत्रे दिचाए किश शा है थे अलुपोगढ्गाए थे हैं--भागाम्णण सबेप्रदेशदिमक्ति, लोसेप्रदेशदिम्पत्ि, करहश प्रदेशबिग्पकि, अमुर्कुट प्रदेशविभकि जपम्य प्रवेशापिमक्ति, अजभम्प प्रदेशबिम्पक्ति, स्पदिप्रदेशजिभरि, अज्ा विप्रदेशविमक्ति प्रधप्रदेराषिस्ति अप्नुबप्रदेशबिम्पक्ति, एक जीबकी अपेद्ा स्वामित्व ध्यल अल्ठर स्यख्व औीबोंकी अपेदा महविचय परिमाण, भंत्र, स्पर्शन ध्यपष अश्ठर, म्मद ओर अस्पपदुत्थ | सात्र रत्तरमदेशविभक्तिक्र दिआए करे छमय सप्रिकपे नामक पक अमुयोगड़ार भोर अधिक दो जात्य दे | करण स्पष्ट है। भागामाग--.हस अमुयागढ़ारें इक, अनुत्त्स, अपन्य भोर ऋडपम्प इन चार फ्रोका प्रपझुण एक बार शीडोंचरी अपका ओर दूसरौ दार सराएँ स्थित कसे परमाणुझोकी अपेणा कैद किशन भागप्रभाण हैं इसका विभार किया गया हे इस्मशेए इस दृष्ठिसे भ्यगाभाग दो प्रद्मएका ई--डीबम्पगामाग ओर प्रदेशमागामाग | खीबभाणाम्पगण्पर विचार करते हुए बतलाया है कि रकप प्ररेशविमक्तियते जीब सच जीजीके अनन्तर्दे म्गपमाण हैं भोर अनु प्रवेश- दिभक्तिदाज शीद सब दड्ीतरकि अजम्त कहुमागप्रभाज है। इसीप्रष्पए झधम्प प्रदेशविमक्तिबाले और अफपस्प पदेशविभक्तियाले ऐोबोके विपयर्ये बालना चाहिए। बइ ओप प्रस्मण्य दे। ्माषेशसे सत्र सागेणाभ्रीमें प्रपनो-अपनी स॑रुपाड़ो शानकर या भागामाय समसः लन्‍्प चाहिए । प्रदेश भागाम्पगष्म बिचार करत हुए. सर्च ब्रथम तो सवमाम्पसे मोइनौय कर्मडौ अपेक्षा प्रदेशम्पगा- स्पणकछा सिपंत फ्रिया ई कर्षोड़ि अद्यम्तर भेरोंस्े बिभद्राकित्र मिला मोइनीय कमे पक हे, इसलिए इसमें स्यगामाग परित नई शात्प। इसके बाद छानावरखादि आ्यठ कर्मादे अपेदा स्पमास्पप माइनौय कमेंडा डिलसा टष्प मिलता है. इस विचार करते हुए बठल्ाबां गया द्दे कि भाटों दर्मो पर जा समुक्दरूप इृष्प दे इसमें आदलिड़े असंकणतर्वे सगमझ माग देनेपर डी रप्द आए पते सइ इस्पमेंसे अख्ग करे द्य हुए प्षेप दहुभागप्रमाश इृम्यके आठ पुष्ज आए* झाठ़ों कमों मैं अल्ग-भवग विमक्त करदे । इस$ बाद डा पक साग बचा है. इसमें पुमा भाषत्ति ६ अर्पस्यातत्रें शागष्य श्यग देनपर शो एऊे माग लग्ब झात्र इसे ध्यजग करक शेप अ”्सागप्रमाख दम्द दरजीपको द दे। पुता बच हुए ०क स्यगर्मे आइलिक अम॑ख्यातरें म्यग से भाग देन पर जग बरूप्पगप माज इस्प शेप रए उसे मांइमीयडका दे दे । लग्न हस्पाे पुना भाऊसि के




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