राजेश्वरी | Rajeshwari

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Rajeshwari by ममता खरे - Mamata Khareशंकर नायक - Shankar Nayak

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शंकर नायक - Shankar Nayak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न “अच्छा माँ अब मैं कभी ऐसा नहीं करूंगी, ° हंसकर कुहू जवा के गले से लिपट गई। ` करने परं भी बुरी आदत एक बार पड़ ऊ है । कुहू को भी ञदत पड़ गई थी कि खेट मिला तो फ्राक का कोना ही उठाकर चबाने ग हर फ्राक का कॉलर दांतों से चबाया हुआ ह [ज खाएगी बाल बंधवाते वक्त की उठकर




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