शरत के नारी पात्र | Sharat Ke Nari Patra

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Sharat Ke Nari Patra by रामस्वरूप चतुर्वेदी - Ramswsaroop Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# सुमति [ रामर सुमति ] 9 'रामेर सुमति' शरत्‌की उत्कृष्टतम कहानियोंमें-से एक है । स्नेह, ममता और वात्सत्यका जितना सुंदर परिपाक लेखककी इस रचनामें हुआ है, वह किसी भी साहित्यकी कृतिमें मिलना मुश्किल है । नारीका नार्मन्व वाःय्ल्य- मे है, इस तथ्यका प्रतिपादन हमे शरत्‌की इस कहानीमे मिक्ता है । बड़ी बहिन में जिस राय-गृहिणीके दर्शन हमें सुरेन्द्रकी विमाताके रूपमें होते हं उसीका परिवद्धित संस्करण “रामेर सुमति'में रामकी. मातातुल्य भाभी नारायणी है । नारीका एक रूप विमाताका है । साहित्यमं विमाता सदेव ही दुष्ट, धी एवं ईर््यालि प्रकृतिकी चित्रित की जाती है, परंतु शरत्‌ परपराओंको लेकर चलनेवाले न थे । उनके मनोविज्ञानने उन्हें नारीका सम्मान करना सिखाया और इसीलिए उन्होंने नारीत्वके इन सटान्‌ अभिक्षापको, इस गहरे कलंकको “रामेर सुमति' में मिटानेकी चेष्टा की हें; और इस संबंधमें कोई दो राय नहीं हो सकतीं कि अपने इस कार्यमें वे पूर्ण सफल हुए हैं। साथ ही नारी- समाजकी इस वकालतमें उन्होंने साधारण मानव-जीवनके तथ्योंकी कहीं अवहेलना नहीं की है। उन्होंने वहीं कहा है जो मनोविज्ञानसम्मत है | जेंसा कि उनके निवंध नारीका मूल्य' (नारीर मूल्य ) से स्पष्ट है, शरत्‌ प्रारंभसे ही नारीसमाजकों सामाजिक मुक्ति न सही तो साहित्यिक मुक्ति दिलनेका दृट्‌ संकल्प करके चकते ही थे ¦ उनका यह दावा नितांत सत्य है ! अपने मंतव्यकी पुष्टिमें उन्होंने बड़ी सीधी, सर, परंतु मर्मस्पर्शी युक्तियाँ उपस्थित की हैँ, और जिरह करनेंका कलात्मक ढंग तो उनका




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