ब्रह्मानंद और पृथ्वी | Brahmand Or Prithvi

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Brahmand Or Prithvi by रामस्वरूप चतुर्वेदी - Ramswsaroop Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्रह्मागड और पृथ्वी १ ब्रह्माण्डका विस्तार स प्रायः देखा गया दै कि साधारण दीस पड़नेवाली बस्तुओँके पीछे बट रहस्य फिपा रहता है। एक समय था जब छ मलुष्यङे पाय दृरदसंक আহি হই মী यंत्र न थे । उन दिनों दृशथिगित ছীনি্বাউ समस्त परदायोमें एप्पी दो सबसे बडी समी जाती धी । सै भौर चन्रमा जिग भारम हिषे पहने हिणी अदर के समझे ज्ञाते थे । उनके लिए यद सोचना स्वामरीरु ही या हि एवः भदव स भौर सन्दा श्सड़े चारों ओर घूमा इरते है क्रोंडि यह एक सपर्य बात थी । बे शमे হল্তিযাইি नित्य अनुमद छदा करते ये । আম মী লন পিই আঁটি? সী লহীন उ्योदिय दाय হাল গেসে




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