हमारी खुराक और आबादी की समस्या | Khurak Aur Aabadi Ki Samasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.6 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनसंख्या लेना भी जरूरी है। इस से हमें यदद पता चल जाता हे कि पूरी जन- संख्या का कितना भाग कास में जुटा रद सकता हे । १४३१ई०में प्रति दस दजार व्यक्तियों के पीछे आयु के श्रनुसार जो संख्या-भेद था वह्द नीचे दिया गया दैः-- १४३१ ० उम्र स्त्री पुरुष ०-9० रदप६ २८०२ शे०-ए२३० २०६२ २०८६ २०-३० १द्धरद १७६८ ३०-४५ ५३२१ १४३१ ४०-५० स्प१ जन कु ०-६० रे ४९ मै दपे ६०-७० २८१ २६६ ७० से ऊपर १२३ ११०४ उपर के श्रांकद़ो से स्पष्ट हो जाता हे कि हिन्दुस्तान में जन्मसंख्या का अनुपात कितना ज्यादा है शोर हर दसवें साल तक कितनी ज्यादा सौतें दो चुकी होती हैं १४ श्रौर ४०वर्षके बीचमें कास करने-योग्य लोगों की जो जनसंख्या है वह सारी जनसंख्या की सिफे ४० फीसदी हे 1 इग्लैंड श्रौर फ्रांस में यही सख्या क्रमशः ६० श्र ५३ फीसदी है। यदद भी जाहिर है कि काम करनेवालों का वेकार व दूसरे का सद्दारा लेने- चालों से झमुपात घटता ही गया हे । इसके आंकड़े निम्नलिखित हैं -- १६२१ ड् ० ४६ ३४ १४३१ इं० प४ ेद इसका मतलब यह हुआ कि काम करनेवालों का बोम्द बढ़ रददा है और उनके सहारे गुजर करने वालों की संख्या में ब्ृद्धि दो रही है। इससे सी इस देश में फेले दुख शरीर अरशान्ति का कुछ अन्दाजा लगाया जा सकता है |
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