जीवन के सपने | Jeewan Ke Sapne
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिंहासन ^ ` ष
“मूता ही सही । मै करती ही जागी यह मूखेता ।”
ज़ोर से हँस पड़ी सावित्री ।
. एक दिस पाठशाला से लौट कर म
खत है, बिटिया |”
“क्या लिखा है ?
“लो देखो 1?”
माँ के हाथ से पत्र लेकर पढ़ने लगी सावित्री ।
“पूज्यनीया बुझा जी,
प्रयाम ? |
बहुत दिनों से ्रापको पत्र नहीं लिखा । माफ़ी चाहता हं ।
प्रमोद मेरा एक सित्र है। बड़ा सुशील और सीधा-सादा है, और
स्वजातीय भी है । लम्बी बीमारी से उठा है । डाक्टरों ने जल-वायु
परिवत्तेन की सलाह दी है । इसलिये उसे आपके पास मेज रहो हूँ
कुपया उसे ्पने थहाँ स्थान दीजिएगा छोर उसकी समुन्चित देख-ग्ख
कीजिएगा । वहाँ उसके एक रिश्तेदार भी हैं, किसी होटल में भी वह
ठद्दर सकता है; लेकिन सेरा ख्याल है, आपके यहा उसे भिना
आराम सिलेगा; उतना कहीं न मिल सकेगा ।
मै जानता दकि आपकी आर्थिकं स्थिति सन्तोषञनक नहीं है
और अपने सित्र का भार छापके ऊपर डालना किसी तरद् उचित
नहीं । इसलिए ५०) रपये मनीआडंर से मेज रहा हूँ। ले
'लीजिएगा, लोटाइयेगा नहीं ।
हम सब मजे में हैं। आशा है कि आप शरोर सावित्री भी
जसकशल हीगे । ` . आपका आज्ञाकारी
“कोशल `
६}
न्न ५.
मे क्यः कौशल का
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