कन्या सुबोधिनी | Kanya Subodhini

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Kanya Subodhini by बदरी नारायण शुक्ल - Badri narayan Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ | रुन्पा सु चिंनीं ग्र याद्‌ रतना । भूल न जाना । जिस काम 8 भला हो चह धर्म है । अपना महाक्रये ४ ? श. भला करने से । जैन धर्म का निचोढ़ दूष 4 भलाई है:-- “भलाई कर चलो जग में, तुम्हारा मी भला हग । वही है जैन सच्चा जो, भलाई में दला दोगा ॥ “खुश रहना खुश रखना, जीना श्र जिलाना सदा जैन के मुख प्र, वस एक यही दो गाना॥ अभ्यास ?--दूपरे लीय धमं भन कामो मरे वताते हैं? र--भयवान्‌ मह्यकीर मे घर्म करित काम मेँ वताया है? रेनगरीवों की सेवा करना पाप है या घ्मं ? इ--विद्या पढ़ना, सच चोलना क्या है / प्र--एक वोल में धर्म का स्वरूप क्या है ? सुपोध णठ १० धमंस्थान में क्या नहीं करना [जैन माता का कन्याओं को उपदेश] स्थानक हम जनों का एक वहत दी पवित्र पर्मस्यार है। वहाँ हम लोग सामायिक संवर आदि धर्म ध्यान




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