शान्ति पथ प्रदर्शन | Shanti Path Pradarshan

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
28 MB
                  कुल पष्ठ :  
500
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(पञ्च चाम्र छन्द)
श्रपापविद्ध जो प्रसिद्ध, शुद्ध, बुद्ध, सिद्ध है,
स्वयं स्वकीयपाश से निबद्ध भी स्वतत््रहै।
प्रसिद्ध शास्त्र में सुखात्मरूप, ज्ञान की प्रभा,
विदेह-रूप कौन है ? ग्रहो, यही स्वयम्  ग्रहम् *,॥
ग्ररोप-वेद-दास्व नित्य कीत्ति को वखानते
न इन्द्रियादि-गम्य जी समस्त-ज्ञान-मूल है।
गिरा-शरीर-वुद्धि कौ मलीनता विहीन है,
समस्त-दास्त्र-सार-भूत है यही स्वयम्  ग्रहम्!
प्पञ्च-हेतु भी यही, प्रपञ्च-सेतु भी यही,
चिमोक्ष-देव-मत्दिरोच्च-भव्य-केतु* भी यही ।
यही महान से महान, सुक्ष्म से८तिसूकष्म है
कवीद्ध, प्राज्ञ,  स्वभू, विधूम-ज्थोतिः है यही ।
यथा स्वकीय-पुत्र का विशाल भाल चूमती,
न जन्मदाः स्व-दट् का, न अरन्य वस्तु जानती
तथा प्रमोद के पयोधि की तरड़ में रंगा--
हुम्रा श्रु  न वाह्यकोनभ्रन्त को विलोकता
निजात्म-जन्म-हेतु, ये समस्त लोक्र की प्रभा,
घन-प्रकाश-रूप, चित्स्वरूप, सूप के तता |
क्रिया-कलाप-साक्षि-मूत, विद्विलास-रूपिणी,
प्रमोद की परा स्थली, ग्रहो, यही स्वयम् श्रहुम्' ॥।
न वेद भी शभ्रभेच भेद जानता परेश का,
कभी यहाँ, कभी वहाँ, कभी कहीं, कभी कहीं -
बना स्वयं विश्ञाल एक जाल खेल खेलता,
परन्तु जोकि वस्तुन. विमुक्त है, स्वतन्त्र है ॥
इतिशम्
बयानन्द भागव
 
 
 
१. पाप रहित २. “मै, ३. ध्वजा, ४. मनीपि, ५. धुएं से रहित अ्रालोके, ६. माता, ७. परमात्मा
 
					
 
					
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