हिंदी - रचना और अपठित | Hindi - Rachana Aur Apathit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ध्वानि
किसी कविता या गद्य कौ स्वना को भली प्रकार सशूले क
लिए यह श्रत्यन्त श्रावश्यक है किं दि उसके भीतर के
विशेष श्रोर श्प्रत्यक्त 'ध्वनि' हो तो हम उस तक पहुँच जाँय-उसे
समभ लें। किसी रचना का “व्यंजन” के द्वारा जो धर्थं निकलता
है, उसे या किमी रचना के व्यंग्याथ को; श्वनि' कहते है ।
जिस रचना में ध्वनि” विशेष होगी, वह श्रेष्ठ रचना कहलाएगी 1
प्ति गद्य रचनाओं सें भी हो सकनी है; पर काव्य में यह
बहुत पाई जाती है। यह काव्य को शोभा है । हमारे साहित्य के
्रचायौ ने ध्वनि-कांव्य को सर्वश्रेष्ठ काव्य माना है । वनि
पिस को कहते हैं, एक-दो उदाहरणों से, यह श्च्छी प्रकार
समक में श्रा जायगा ।
रावण ने अंग से पूछा-'अंगद, तुम्हारे पिता बाली
फुशल तो हूं. 7”?
श्रंगद ने. उत्तर दिया--“तुम स्वय स्वम मे जाकर उनकी
कुशल पृच्छ लेना 1
अंगद के उत्तर में यह “ध्वनि” है कि तुम अब शीघ्र हो सारे
काने वाले हो 1
गर्भन के श्रसैक दलन, परसु मोर अति धोर।
मात पिता जनि सोच वस, कग मद्दीप किसोर ।
परशराम जी दमण से कहते दै कि मेरे परसे कौ घोर
आवाज़ सुनकर गर्भ के बच्चे भी मर जाते हैं । पे राजकुमार
अपने माता-पिता को शोक में मत डाल । इस से यहीं ध्वनि
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