मध्य हिंदी रचना खंड - १ | Madya Hindi Rachana Khand - 1

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Madya Hindi Rachana Khand - 1 by कामताप्रसाद गुरु - Kamtaprasad Guru

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शिकारी कीं कद्दानी ः श्ड्द (३) दो स्त्रियाँ और बच्चा एक बार एक स्मी ने पड़ोसिन के छोटे बच्चे को पुरा कर अपने घर में छिपा लिया । बच्चे की माँ ने अपने लड़के को बहुत खोजा पर वद्द कहीं न सिला। अचानक पढ़ोसिन के घर में उसका रोना सुनकर उसने जान लिया कि सेरे बच्चे को इसने छिपाया है । तब बच्चे की माँ ने पढ़ोसिन से 'झपना बच्चा साँगा । पढ़ोसिन ने कद्दा कि वद्द बच्चा मेरा है, तुम्दारा नहीं । इस पर उस स््री ने राजा के यहों छपना दुःख सुनाया । राजा ने दूसरी ख्री और उस बच्चे को अपने सामने बुलवाया और दोनों खियों से पूछा कि बच्चा किसका हे । अत्येक ने कद्दा कि बच्चा सेरा है । उन दोनों की बातें सुनकर राजा को सच्ची बात का पता न लगा | इसलिए उसने एक चतुराई की । अपने एक सिपाद्दी को बुलाकर राजा ने भूठ-मुठ यदद झाज्ञा दी कि इस बच्चे के दो टुकड़े करके एक-एक स्त्री को एक एक टुकड़ा दे दो ! यद ाज्ञा सुनते दी चोर ख्री तो 'चुप हो गई पर बच्चे की माँ फूट फूट' कर रोने लगी । उसने राजा से रोते हुए कद्दा कि कृपा कर बच्चे के टुकड़े न कराइये । इन बातों से राजा को विश्वास दो गया कि रोने वाली ख्री दी बच्चे की माँ है । झाबर उसने बच्चे को उसकी माँ को दिला दिया और दूसरी ख्री को कैद का दूंढ दिया । (४) शिकारी की कहानी एक शिकारी जंगल में बाघ का शिकार करने के लिये गया । वद्दीं उसने एक ऊँचे पेड़ पर सचान बनवाया 'और संध्या के समय , बन्दूक लेकर उस पर बैठ गया । आधी रात तक वह्दों कोई जंगली जानवर न आाया और शिकारी के बैंठे-बेंठे नींद झाने लगी । इतने में झचानक पत्तों की खड़्खड़ाइट सुनाई पड़ी जिससे शिकारी सचेत द्ोकर बैठ गया । थोड़ी देर के बाद चॉदनी में एक वाघ स० हि० र०--व२




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