मैनासुन्दरी नाटक | Mainasundari Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सीन ४ ट ~.
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चम्पायुर नगर का प्रदा
१६
चम्पापुरी प्रजा का राज्ञा श्रीपाल ॐ वियोग में रोतै हए नजर धाना
वाल तुमे फलक य् कया किया हाय गजयं सितव गजब ॥
१ तूने करम यह् क्या किया हाय गजब सितम गजब ॥
वनवास मेँ राजा गया हीय गजब सितम गजव ॥
२ माता को रोतती ढोड़के और राज से मु ह मोड़ के।
हमरे लिए यह दुःख सहा हाय गजब सितम गजब ॥
३ राजा हमारा प्रान था सारी प्रजा की शान था।
सूना नगर यह् हो गया हाय गजव सितम गजव ।
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राजमहल्न का परदा
(१७)
नोटः
(१) मालवा देश में पच्लेन नगरी एक दटूठ बदा शहर धा जिस्य राजा
पहुपाल राज फरहा था ॥ इस राला ऐे निपुस सुन्दरी पटरानी यी भर
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