राम दुलारी वा सदाचार की देवी | Ramdulari Va Sadachar Ki Devi

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Book Image : राम दुलारी वा सदाचार की देवी  - Ramdulari Va Sadachar Ki Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(शभ) तुम,को तो यद्द सलाह देते हैं कित वहीं सगाई करदो और चाहर लोगों में यह उड़ाते फिर रहे हैं कि राम प्रसाद्‌ न सात हज़ार संपये ठहदरा' लिये हैं । सच मानो मेरी तो लड़ाई होगइ दोती कई आदमियों से । ` रामप्रसाद--छड़ने की कया ज़रूरत है,. बकनेदों उन बेई- मानों को, जब में वहां सगाई ही नहीं करूंगा तो वे आपही टे पड़ जावेंगे । माधघोलाल--हां यह ही मेरी सलाह. हे, वहां हमिज़ सगाई नहीं करनी चाहिये नहीं तो दम ख्वामस्वाह बदनाम दोजाचमे तुम जानो यह दुनिया हैं किस किस का सुंद पकड़ते फिरेगे । “एएएएएससटपफिशेटजणााण , ३:“क़ाई के बास्ते जात १. अब माघोलाल ने अपनी स्त्री से जाकर कह दिया कि वहां सगाई नहीं होगी मेने राम प्रसाद को रोक दिया हे, . कमलो- वती ते जव यह वात खुनी तो वह तुरन्त ही दुखायी फे पास जाकर यह खुशखबरी खुदा आई, और अन्य भी अनेक चिर्यो से कहती फिर गई कि युंमानीलाल का चार चलन ख़राब होने के कारण मैने उस से. दुलारी की 'सगाई नदी होने दो है, फिर दो चार दिन पीछे जब सुसराल गई तो वहां भी थह ` ही:बात गाई । होते २.यह बात शुमानीलाल के भी कानों तक पहुंच गई । | गुमानीखल , उन दिनो.नगर का- आओनरेरी ` मनिस्येट .था; चह-दात सुनते ही; उसने ' एक बदमाश को. बुलाकर कमलावती'




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