श्रमणोंपासक संयम साधान विशेषांक | Samno Pasak Sayam Sadhna Viseshak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
476
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निलिप्तता का साग
छू श्राचार्यश्री नानेश
च्छस भझ्रवर्सापिसी काल में भ्रन्तिम तीर्थकर भगवान् महावीर के शासन
में उनकी श्रात्मोद्धारक वाणी पर अधिकाधघिक चिन्तन श्रावश्यक है । उनकी
वाणी का चरम लक्ष्य हे--सभी प्रकार के वन्वनों से म्रात्मा की मुक्ति । यह
मुक्ति ही श्रात्मा की समाधि का चरम विन्दु है, लेकिन श्रात्मा की समाधि का
ग्रारम्भ मुक्ति मार्ग पर चलने के संकल्प से ही हो जाता है । सूत्र समाधि से
ग्रात्मनान का प्रकाश फैलता है तो विनय-समाधि ज्ञान के घरातल पर कठिन
आ्राचरण की सफल पृष्ठभूमि का निर्माण करती है । फिर झाचार-समाधि एवं
तपस्या-समाधि श्रात्मा को मुक्ति मार्ग पर गतिणील श्रौर प्रगतिशील वना
देती है।
श्रात्मसमाघि का यह मार्ग एक प्रकार से निलिप्तता का माग॑ है ।
सासारिकता से निलिप्त वनकर जितनी आ्रात्माभिमुखी वृत्ति का विकास होगा,
उतनी ही अधिक शान्ति मिलेगी श्रौर मुक्ति-मार्ग पर गतिशीलता बढ़ेगी ।
निलिप्तता का मूल मंत्रः
सम्यक् आचरण ही निलिप्तता का एव उत्तके माध्यम से श्रात्म-समाधि
का मून मूत्र रै । शुद्ध आचार के थिना जीवन गुष्क तथा प्रगतिहीन दी रहता
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हे । शुद्ध धार एव व्यवहार की रिथति सम्यक् जान एव सम्यक् शद्धा के
साथ नुद्ट वन्ती है । जान एवं क्रिया का भव्य समन्वय वनता रै, तव मुत्ति-
दायिनी निलिप्तता का मार्ग प्रलरन हाता दै ।
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