पंछी और परदेस | Panchi Aur Pardes

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Book Image : पंछी और परदेस - Panchi Aur Pardes

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ में लीला को लेकर श्रभी डिनर रूम में आता हूँ ।” यह्‌ कद्कर वलरान लीला के कमरे की श्रोर चल दिए श्रीर राकेश पीछे लौटा 1 लीला श्रपने कमरे में साड़ी चदल एक रवेत मलमल की घोती पहन रही 18. अत्यन्त व्यस्त थी 1 चिट्ठी द्‌ उसने र्म चर्ख दीयी। समय एक वार उड़ती-उड़ती निगाहों से देख लिया था 1 पथवाहिका ने नो बजे का समय सिध्चित रखा था । “दया वात है लीला कहाँ जा रही हो ? तुमन मु पहले नहीं बताया ढक तुम्ह एक सगाई में जाना है। चलो खाना खा लो मैं तुम्हारा हो इन्तज़ार कर रहा था । यह कहते-कहते चलराज पत्नी के सम्सख भा गए झोर साड़ी का पैकेट मे पर रखकर तनिक; टकर पुनः बोले-- “वह्‌ साड़ी लाई हो 1 तुम नहीं जानतीं दम कोटी में रहती हो, कार पर ९ चलती हो श्रौर फिर प्लाईमाज्य कार । जो हर एक को नलीव नहीं हता । क्या तमाया देख रहा हू मे £ सहेली के सलमल कौ थोती पहनी है। वाह ! लीला वाह ! तुम्हारे गुस्रो का कमान नहीं । कुरर नहीं दत्तान श्रीर्‌ सजा देने लगती हो 1” यद फहते-कहते वलयाज मूविग चेयर पर बैठ गए । कमरा दस्ति वा । लाला की साड़ी का पतला फर-फर उड़ रह ७ रन दे 5 1 था । वह चोली कना चकद्र व्यस्त स्वर में सके शमी भव नहीं है । में कुछ नहीं खाऊँगी घर में नाराज कहां * वस अभी ग्राती घण्ट-उढ़ घण्टे में । ठुम लोग टिनर लो । मैं ाद में खा लूंगी ।”” यह कह लीला ने प्रतीक्षा नहीं की 1 वह जाने . सगे भायाजन कर दरवाजे की श्रोर बढ़ी 1 त भी वलराज जल्दी से दर्सी सय तात नु मु च भ्ड 6 १ < स्यु => ~. ग्म पर्‌ नि रे 4 पिर सरके य द से उठ । इरानी कारपेट पर स्लापर सटके, वे कह रहे बे--“पुनो सोता 1 तेकिनि सीता जते यौ देवा के धोड़े पर सवार । उसने कुछ भी नवाव नहीं दिया और पोटिको में था गई ड 1 यद्यपि कार ्रभी पटा सद




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