विश्व की विभूतियाँ | Vishva Ki Vibhutiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुकरात ७
पूछा कि मैं क्या करूँ। उत्तर मिला, जव तक आपकी टमि
भारी न हो जार्यै तव तक टददलते रहिए और फिर लेट जाइए ।
सुकरात ने प्याला मुँह के लगाया और गट गट पी लिया ।
जव मित्रों ते देखा कि विप का प्याला खाली हो गया, तो वे
अपने ऑआँसुओं को न रोक सके । उस समय अकेले सुकरात
ही शान्त थे। वे बोले-“यह विचित्र चीत्कार क्या है ? मैंने
सुन रक्खा है कि मदुष्य को शान्ति से मरना चाहिए । इसलिए
शान्त हूजिए और धैय रखिए ।
सुकरात की टाँगों ने जब तक कास दिया, वे इधर से उधर
टहलते रहे, फिर लेट गये। विप धीरे धीरे चृता गया, यहाँ
तक कि उनका शरीर अकड़कर ठण्डा हो गया ! परन्तु बोलने
की शक्ति वन्द होने के पूवे उन्होंने कददा--“क्राइंटो, मुझे एस्कूले-
पियस के एक कुक्कुट देना है। क्या तुम मेरा यह ऋण
चुका दोगे ?
क्राईैटो ने कहा-“यह ऋण चुका दिया जायगा! स्या छुछ
और भी कहना है १
पर इसका कोई उत्तर नदीं मिला! इस प्रकार सत्तर वर्ष
की आयु सें सुकरात का देहान्त हो गया 1
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