वीरविनोद मेवाड़ का इतिहास भाग - 2 | Viravinod Mevad Ka Itihas Bhag - 2
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
106 MB
कुल पष्ठ :
750
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)¦ भवाडके पोटिटिकछ एजण्ट
| निक्सन साहिबकी रिपोटका
| खुलासह ( एजण्ट गयमई₹ जेन-
¦ रख राजपृतानहके नाः.)
|¦ महकमहरवास्तका काम होना,
| महाराणाका अजतेर पधारना,
| ओर छोंडं भयोते मृटाकात
।, करना वगैरह हाढात ˆ`
|¦ कोटाके महाराव शच्चरशाछका
इ उदयपुर आना, (रियासती का-
। ¦ मका इन्तिजाम ओर महागणा
का जी० सी० एस० आइ०
का तमगह मिलना
अभयस्वरूप बिहारी जीके मन्दिर
_ की प्रतिष्ठा, बीकानरकी राज्य-
` गही महाराजा डंगरलिंहको
मिलना, झालरापाटणके राज-
राणा एथ्वीलिंहका उदयपुर
आना वगैरह
कर्नल् हेचिन्सनका उदयपुर
आना, काम्भुनिवात्त महलके
दक्षिणी भागका वस्तु मुहूत
| और उत्सव, महकमह स्टाम्प
व रेजिस्टरी और महकमह
तवारीरवका काइम होना
महाराणाका एकाेंगजी व गढ़
घोर वगेरहको पधारना, राज़-
पृतानहके एजेण्ट गवनेर ज्ञेन-
रख पटी साहिषका उदयपुर
आना, गोकुखचन्द्रमाजी फे
मन्विरिकी प्रतिष्ठा ओर मेव।दफे
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` २०९२ - २०९६
२०९६ - २११०
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दे चन्सन ओर ब्राउफोइकी
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रिपोरटाका खुलातह
महाराणाकी बीमारी. और
उनका देहान्त व. आदतें
चगेरह 3 डर
महाराणाक समयक बने हुए
मकानात व सड़कों वगरहकी
लागतका नकशह
शेप संयह
षोतवां प्ररृरण - २१३२९ ~ २२५५९.
महाराणाकी गद्दीनशी न
वटककी वाव्रत् सदारो तक्रार,
महता पन्नालटालका चैवाडवरा-
हिर ओर महाराज सोहनसिंह
फो धागौर लानका हुक्म `
राज्याभिपषकात्तव,क्ीनविक्टा-
रियाकी तरफसे गद्दी नड़ी नी का
खिलू अत व खरीतह और लॉ
नाथ व्रक्का खरौतह आना,
सजन वाणीवेटात नामी
पुस्तकाटयका कडइन इना
जानी बिहारीलाल का महा-
राणाके लिये गार्इियन नियत
होना, चाल्से हट साहिबका
उदयपुर आना, महाराजा
लयपुरंकी तरफसे टीके का
सामान पेड़ा होना, ओर
महदाराणाका पाहिला विवाह
दरम
महता पन्नालाखका उदयपुरम
वापस आना, ओर उदयपुरकी
ठणिका शङ `
०0 विवि मि 0
` २,११.०५ २१२१
` २१२१ - २१२५ `
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महाराणा सजनासंह, ˆ
|
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` २१३९ -२१४०
` ू१४०-२१६२
` २१५२ -२१४३
१११.५-- २१२८
०१२९. -२१३८
२१४६२११४
२१४५ - २१४८ ॐ
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