जिनेन्द्र भजन माला | Jinendra Bhajan Mala

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Jinendra Bhajan Mala by न्यामत सिंह - Nyamat Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जितेष सजना । १५ ( =) ( चाल } स्या २९ \ चौबीसों चालीस दौ, वीस एकं एक, ऐसे शत इंद्र पति, इंद्र सब श्रायके । नव हरि प्रति हरि, नारद पदम नित, बारह चक्रार्ति ग्यारह, रुद्र मन लायके ॥ चौवीसों कामदेव, मात तात जिनराय, और चौदह कुलकर, चित हरषायके । एकसो पैंतालीस, शलाका नर सेवें पद, चौवीसों जिनेदर म भी, से सर नायके ॥९॥ क १ ( ‰& ( चाल )सवैया ३१ नर्म गुरू निग्रैथ, अरिमित एक चित, जानत एकं निल, कंचन तिरनको । शराठ वीस गुण लें, वाइंस परीपह् सैः घर्स उपदेश कहें, जगसे तिरनको ॥ शीत सरवर तीर, श्रीषम शिखर गिर; पास दरक जो, जम्मन मरनकौ । बास श्रमप्त॒ टार, पंचमहावरत धा बारह विधि तपतारं, कर्म इनक ॥ १॥ 7. ( ८ ) (चाल )} सवैया ३१1 नमू भवदुख दानी, शिवपुर की निशानी: तीनों ही जगत मानी, ऐसी जिनवानी है।




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