जिनेन्द्र भजन माला | Jinendra Bhajan Mala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
792 KB
कुल पष्ठ :
40
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जितेष सजना । १५
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( चाल } स्या २९ \
चौबीसों चालीस दौ, वीस एकं एक,
ऐसे शत इंद्र पति, इंद्र सब श्रायके ।
नव हरि प्रति हरि, नारद पदम नित,
बारह चक्रार्ति ग्यारह, रुद्र मन लायके ॥
चौवीसों कामदेव, मात तात जिनराय,
और चौदह कुलकर, चित हरषायके ।
एकसो पैंतालीस, शलाका नर सेवें पद,
चौवीसों जिनेदर म भी, से सर नायके ॥९॥
क १
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( चाल )सवैया ३१
नर्म गुरू निग्रैथ, अरिमित एक चित,
जानत एकं निल, कंचन तिरनको ।
शराठ वीस गुण लें, वाइंस परीपह् सैः
घर्स उपदेश कहें, जगसे तिरनको ॥
शीत सरवर तीर, श्रीषम शिखर गिर;
पास दरक जो, जम्मन मरनकौ ।
बास श्रमप्त॒ टार, पंचमहावरत धा
बारह विधि तपतारं, कर्म इनक ॥ १॥
7.
( ८ )
(चाल )} सवैया ३१1
नमू भवदुख दानी, शिवपुर की निशानी:
तीनों ही जगत मानी, ऐसी जिनवानी है।
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