स्वतंत्र्योतर हिन्दी कथा साहित्य और ग्राम जीवन | Swatantrayotar Hindi Katha Sahitya Or Gram Jivan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
75 MB
कुल पष्ठ :
563
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
(१५) अछूत--डोम, मुसहर, भंगी-चमार आदि ।
(१६) नवपरिवतित परिस्थितिर्या--नये प्रभाव, संसक्ृतियों की
टकराहृट, आधिक संस्कृति ।
(१७) छृषि-संस्छृति, सौन्दयं और अन्य बातें-गाँव का समग्र
सौन्दये, गाव की स्वना, भाषा ओर परिधान ।
पचन् अध्याय
नये सामाजिक मुल्य और स्वातंत्र्योच्तर कथा-साहित्य |
पृष्ठ ३१६-३७३
(१) नये सामाजिक परिवर्तत और गाँव --
(२) मुल्यनुलंक्रमण की पृष्ठभुसि-- द
प्राचीन सामाजिक मुल्यों की अवशिष्ट स्थिति, नैतिक मूल्यों
কী गिरावट, नयी नैतिकता ।
(२) आधनिक्ता--
अनास्था, सत्रास, कठा, विरोध, विद्रोह, टठन, भग्नाशा, अप्र-
तिबद्धता, अकेलेपन की अनुभूति, अजनबीपन, विक्षोभ, युक्त-
कामता, बुद्धिवांद, टुकड् मे जीती जिन्दगी, मोहभग, अस्वीकार,
मत्युबोध, सेक्स-विस्फोट, खोखलापन, नंगई, यूवाविद्रोह । `
(४) सम्बन्ध तनाव--
पिता-पुत्र, पति-पत्नी, तीसरे का प्रवेश, पति-प्रेमी दोनों की
सहेज, नये सम्बन्धों की तलाश ।
(५) विघटन का सामाजिकं कोण : पारिवारिक विघटन
पारिवारिक विघटन, सामाजिक विघटन, ग्राम विघटन, व्यक्ति
विघटन, ग्रामजीवन के प्रति अरुचि ।
(६) भ्रष्टाचार |
षष्ठ अध्याय
ये गाँव की समसामयिक समस्यायें... ... पृष्ठ ३७४-४२७
ग्राम पंचायत, पंचायतों के दोष, सभापति, सरपंच, चुनाव-संघर्ष,
निष्कर्ष पंचायत सेक्रेटरी, ग्राम-सेवक, बी० डी० ओ०, एम०
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