ऊजली आभा | Oozli Abha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आछो कस्यो
जद सू पारवती रो साथ छूटयो महादेव रो जीवण दिनोदिन भीरस
षतो ययो। अवै वारो कोई कामम जी नीं तागै। आ च्यार-पाच बरसा में
सरीर सूर काटो शेयम्यो। मूढै मायै दाढी चघमी मै आख्या भी मायनै घसगी।
पैरण-ओदण री भी सुध नीं रैयी। पारवती रै लारै टी वारी सारी सुखसायती
जावती रैयी।
नौकरी सू रिटायर होवण में ओजू दो साल बाकी है। पण इया लागै
जाणै रिटायर हुया मै दस-बीस बरस होयग्या होवे। वस आ भली समझो“कै
नसड़ी हिलबा नीं लागी। नीं जणै जाबक डोकरा हीज दीखण लाग जावता।
लारतै कर्द दिना सू महादेय रो डील सावन नीं है। अमूञ्जणी भोत
आवै। रात मे नींद नीं आवण सू সাথী শী भारी-भारी रैवै।
रैय-रैय'र पारबती रो चैरो महादेव री आख्या साम्हें आ जावै। ओड़ी
यगत लुगाई री याद आया बिना रैयै ही नीं। फेर पारवती सू सनेव भी तो निरो
हो। वा भी घणी है लाई हरदम चिप्योडी हीज रैंवती। महादेव जठैे जावता
पारबती छाया री तरिया बारे सागै रैंवती।
करै कदास पारवती ने मायके जावणो पडतो तो महादेव दूजै दिन ही
पूठा सेवण न पूग जावत्ता। साची वात आ दै कं एक दूज सू कोड कदै अन्ममो
हयौ टज कोनी ¡ एकर जरूर दो-ढाई मईना पारवती मायकँ र्यी जदं धीरज
होयो। पैली सुवाड़ जद मायके में हीज हुया करती। उण ई वाद तो पारवती
भायकं जावण रो कदै नाव ही नी लियो। एकाध दिन वास्तै जावती तो महादेव
सागै जावता। नीरज तो अठै हीज हुयो।
आज महादेव कीं बैगा ही उठग्या। न्हाया-धोया अर फेर बारै सू बारणी
জীন্ান্ত मदिर चला गया। तबियत दो-तीन दिन सू ठीक ही। नीरज अर बींरी
बऊ जानकी अबार ताईं उठया ही नी हा।
मदिर जाय नै पूठा आया अर घर में घुसबा लाग्या'क॑ काना में जानकी
रा की कड़वा बोल सुणाई पङ्या। महादेव रा पग चौखट पर ही थमग्या]
जानकी धणी चै कैवै ही- मै तो थारै बापूजी सू नाकोनाकं आयमी।
ज्यू-ज्यू बूढ़ा होंवता जा रैया है बुद्धि भी बारी सठियादी जा रैयी है। आ तो
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