श्री जवाहिराचार्य के व्याख्यान | Shre Jawahiracharya Ke Vyakhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(ভব) জী महानुभाव ख्ये पचो से कम श्रीर ख्ये
एकसो से ्रधिक एक पाय दिये द था ठी वे्मानीवन), द्वितीय,
प्रेणी के समाप्तद माने बाबेंगे।
(श ) भो महानुभाव समासद् फी तरीके वार्षिक
खपे २) या इ दिपाब से भितने भी सार के (वर्ष के) देंगे तृतीय
रेणौ के पमातद मने भवगे |
( घ् ) ऑफिस स्टॉफ में ऑनररी अथवा ऑनरियस
लेकर काम करते हों वैसे तरद सके एमासद माने जायेंगे, किन्तु
फुरु पेड सेक्रेटरी हो उनको फ़ौस जमा कराकर सभासद द्ोना
ही पड़ेगा। |
(चे ) লী অন্য মত জী चाह प्रवात में
या किसी नवीन प्रवृति करोने के उद्देश से नो भी रकम देंगे वह
মির ঈ্ধ की होगी उन्हें उसी श्रेणी फे पाद मने जाकेंगे।
[ ५ ] मेडल की स्थायी सम्पत्ति--
( क् ) मेंढक में नो रकम अबतक प्रथम, द्विती
भौ के मादो ते फट की प्रा हू है या न्य सगरो ই |
† कत कौ सम জী मूर पूण खे पे पड़ चुकी हे वह तथा अव
इसी तरह जो रकम प्राप्त होगी वह सब मंडल को स्थायी संपत्ति
मानी जावेगी |
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