श्री जवाहिराचार्य के व्याख्यान | Shre Jawahiracharya Ke Vyakhan

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Shre Jawahiracharya Ke Vyakhan by शोभाचन्द्र - Shobhachandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ও) (ভব) জী महानुभाव ख्ये पचो से कम श्रीर ख्ये एकसो से ्रधिक एक पाय दिये द था ठी वे्मानीवन), द्वितीय, प्रेणी के समाप्तद माने बाबेंगे। (श ) भो महानुभाव समासद्‌ फी तरीके वार्षिक खपे २) या इ दिपाब से भितने भी सार के (वर्ष के) देंगे तृतीय रेणौ के पमातद मने भवगे | ( घ्‌ ) ऑफिस स्टॉफ में ऑनररी अथवा ऑनरियस लेकर काम करते हों वैसे तरद सके एमासद माने जायेंगे, किन्तु फुरु पेड सेक्रेटरी हो उनको फ़ौस जमा कराकर सभासद द्ोना ही पड़ेगा। | (चे ) লী অন্য মত জী चाह प्रवात में या किसी नवीन प्रवृति करोने के उद्देश से नो भी रकम देंगे वह মির ঈ্ধ की होगी उन्हें उसी श्रेणी फे पाद मने जाकेंगे। [ ५ ] मेडल की स्थायी सम्पत्ति-- ( क्‌ ) मेंढक में नो रकम अबतक प्रथम, द्विती भौ के मादो ते फट की प्रा हू है या न्य सगरो ই | † कत कौ सम জী मूर पूण खे पे पड़ चुकी हे वह तथा अव इसी तरह जो रकम प्राप्त होगी वह सब मंडल को स्थायी संपत्ति मानी जावेगी |




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