नयी तालीम | Nayi Talim
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
377
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धीरेन्द्र मजूमदार - Dheerendra Majoomdar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चैज्ञानिक लोग तो अब घास से भो दूध छेने का सोचने लग गये है। जमोव आदमी
के लिये इइततनों कम पढने वाली हूँ कि तब झावद गाय को भो शेर की ही
तरह जगल में रहता पडे। या वह भी सभव हूँ कि यदि हमें दूध के लिये बढ एजती
हो पडे तो फिर गोन्प्रदेश ना से एक अलग प्रदेश हो उसके लिए रखना होगा
सभी उसे हम चारा दे रवेगे। मरने वा तात्पयें यह हूँ किगाय के सुधार और
सुरक्षा के लिए €र तरह वे प्रयास किये जाने चारिये! उसके लिये यह सवाल व्यर्थ
हैं कि ट्म विदेशा साडो रे उसकी नस्ल सुधार का काम लेया नहीं। जहाँ
तक बाबा का सवाल है वादा तो जय जगत वाला हैँ और में इसमें कोई भी बुराई
नहीं देखता। ग्राय से खेतों का काम छेने का भी क्भो कभी सवाल किया जाता
हैँ और उस पर तं,ब्र मतभेद दिखाई देता है। मेरे विचार में यह सावल भी
विवाद का नहीं हूँ । गाय से खेतो का काम लिया जा सकता हैं पर झर्त यद हे कि
उसे खिलाया भी अच्छी तरह जाय।
हमारी आध्यात्मिक कसौटी :
गाय तो हमारी आध्यात्मिक कसौटी भो रेती है। उसके हम पर इतने
उपवार हूँ कि हम उनसे उऋण हो ही नहीं रक्ते। इसलिये भी यह
हमारे भानवपत की परीक्षा हैँ कि हम उसके उपकारो का बदला क्या उसकी
हत्या बरके देंगे ? यो भी आध्यात्मिकता प्राणीमात्र की €सा का विरोध करती हैं ।
इसलिये वाबा गो-हत्या का पूर्ण विरोधी हैं और यह तत्काल बंद होती चाहिये।
यह भारत के लिये तो और भो आवश्यक हूँ जहां पर बेल वा इतना महत्व हूँ
खेती के कारण!
আমর ৩৬ [९४
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