दो विशव युद्धों के बीच अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध | Do Vishv Yuddho Ke Beech Antrashtriya Sambandh
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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No Information available about लक्ष्मी नारायण अग्रवाल - Lakshmi Narayan Agarwal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३० विषय-प्रवेश
40९60गरांशा [85৮01000195 01089101550102) জী হঘাদনা হী
जिसका काम यूगोस्लाव या यूनान-क्षेत्र मे समय-समय पर घावे बोलना था।
इस सगठन ने सीमात के दोनो और को जनता में आतक फैला दिया और
युद्ध के बाद के दस वर्षों से भी अ्रधिक समय तक बलभेरिया प्रौर उसके पड़ोसो
देशो के सबधो को कट्ठु बनाये रखा। इस अवधि मे योरोप के श्रन्य किसी भी
भाग को श्रपेक्षा मेसिडोनिया मे हौ समवतः जीवन श्रौर सपत्ति कम सुरक्षित धे ।
स्यूइली की सन्धि के जिस एक और अम्य उपबध का यहाँ उल्लेख ग्रावश्यक
है, वह उस धारा से सबधित है जिसके ग्रनुस्तार मित्र-राष्ट्रो ने यह वचन दिया था
'कि “एजियन समुद्र मे बलगेरिया को झ्राथिक बहिर्भाग (८८0101716 0९
11) सुनिश्चित करा दिये जायेगे (?? बलगेरिया निवासियों ने इसका गर्थ, पोलेएंड
की भाँति, क्षेत्रिक गलियाया ((९17100119] ००771007) लगाया | मित्र-राष्ट्रो
ने बलगेरिया को यूनान के एक बदरगाह में एक कर-मुक्त क्षेत्र देने का प्रस्ताव
रखा किंतु बलगेरिया निवासियों ने इसे शिरोधाये करने की अपेक्षा अस्वीकार
करना ही उचित समझा, आखिर, इस विवाद-ग्रस्त उपबंध को अमल में लाने के
लिए इसके बाद कुछ भी नही किया गया ।
अ्रत मै, इस बात का उल्लेख कर देना भी ग्रावश्यक है कि नवनिर्मित
राज्यो--पोलेएड श्रौर चेकोस्लोवाक्या--तथा जिन राज्यो के क्षेत्र में काफी
वृद्धि हुई थी उन्हे--श्रृगोस्लाविया, रूमानिया और ग्रूनान--प्रमुख मित्र प्रौर
साथी राष्ट्रो से सन्धियाँ करनी पडी । इन सन्धियो के ्रधीन दन राज्यो ने प्रपते
क्षेत्र में रहने वाले “मूलजातिव, धामिक और সামিনা (79012]1 16118100$
9170 11708018010) भ्रल्पसल्यको”? को यह गरारटी दी कि उन्हे राजनैतिक
अधिकार श्रौर धार्मिक स्वतव्रता प्राप्त रहेगे तथा उनके लिए विद्यालय खोले
जायेंगे और वे त्यायालयो मे तथा शासन से काम-काज पडने पर अपनी भाषा
का उपयोग कर सकेंगे। आस्ट्िया, हयरी, बलगेरिया और टर्की के साथ हुई
হালি सन्धियो में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई थी | किम्तु अल्पसंख्यकों
के सम्बन्ध मे जमंनी का कोई कत्त व्य निश्चित नही किया गया । बडी विचित्र
बात है कि वर्सेलीज के शाति-स्थापको ने केवल इसो मामले में जमंनी को আসন্ন
अडे राष्ट्रो की बराबरी का स्तर दिया था ।
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