सुखविपाकसूत्रं | Sukha Vipak Sutra

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Sukha Vipak Sutra by भैरोंदान जेठमल सेठिया - Bhairodan Jethmul Sethia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(अ) 2 লাস সস মি ^ भवर रमभः शआरीनरामायनम ` = शण ৫২77 सुख-विपाक-सूत्रस#-+“ (हिन्दी-भावार्थसहिलर्म 0... सूलम-- तेण ऊालेण तेण समण्ण्‌ रायगिषे गागर गुणसीले चेहए होत्था । वण्णओ--॥ १॥ भावाध-- इस पयसापणा कालके चौथे भार मे उस स़य(जम्म कि भगवान्‌ मदावीर स्थामी, और व” राजा विश्वमान থা) মাল नामका नेग धा} उमम गुर्री ती नामका चैव्यानय-~व्यन्तणयतने ता} उसका वणी भ कट्‌ मार समम लेना चाहि० ॥ ९ ॥ मृलम-- * तेण कातेग्‌ तेग समण्ण समणस्सं नग- वमो मरावीरस्म अतेवायी अज्सुहम्मे णाम थेरे ्ातिस- ঘি ूटसपन्ने वदग्व्यपिणयणाणदसणचरित्तटाघवसपने श्रोयती तैयसी चच्चसी जससी जिय कोहे जियमाणे जियमाप जियलोएे जियडदिए जियनिदे जियरपरीसहे जीवियासमरण- मयतिप्पछुक्फे तवप्पाणे गुगाग्पटाणे एय करणचरणगि- ग्गरणिचग्रय्न्नयपयखायवयतिरुनिसुत्तिविन्नामतवभ- येयनयनियमसच्चसोयणाणदसणनरित्तउराले घोरे घोरत्ये ® घोरलंयस्ी चोरय मयरयासी उच्रदमरीरे सशित्तविठल तेउलेस्से चउइसपुत्ची चठणाणोय्गते, पाले प्रणयारसफ টি ক रतप प 2 से प्राएम वि এ




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