अपराजितेश्वर शतक | Aparajiteshvar Shatak-purva Khand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ » | भेंट किये जाते है । ः जब उक्त आचाये महाराज ने जयपुर मे चातुर्मास फरने की स्वीकारता दी तो जयपुर के म्रधान धार्मिक नेता श्रीमान्‌ सेठ गोपीचंदजी ठोलिया, सेड वधीचदजी गंगचात्त, सेर रामचन्द्रजी छोख्यारी, सेठ रुलावचन्दजी सेडी, सेठ मनीरमजी चासली- चाल, युन्श्ौ पुलचन्दजी गोका, আনু गेदीलालजी एडवोकेट आदि शतशः सज्जनों की यह सम्मति हुई कि एक चतुर्मास प्रबंध समिति बनाई जावे | फलत' एक चततुर्मास अवंध समिति का निर्माण हुआ ओरे मेरे निर्चल कंधों पर मेरे अस्वस्थ रहते हुये भी मेरी सर्वथा अनिच्छा होने पर भी विशेषा- ज्ुसेध से उक्त समिति के मंत्रित्व का भार डाल दिया। मुझे सभी भमुख सज्जनों के विशेषानुरोध से उसे स्वीकार करना पडा | यय्यपि इस पुस्तक के भरकाशन का चातुर्मास अवंधक समिति से को$ संपर्क तथा संबंध नहीं है, तोभी व्यक्तिगत रूप से जो कुछ झुभसे सेवा दोसकी, मैंने की है। यदि प्रमादवश कोई त्रटि या भूल रद गई हो तो में उसके लिए उक्त आचार्य महाराज एवं अन्य सभी से करवद्ध क्षमा चाहता हूँ । एवं इस आचाये महाराज दे: चातुर्मास मे मेरी अस्वस्थता आदि के कारण कोई गलती होग ४ हो या किसी को कुछ मानसिक कायिक वाचिक वेदना पहुँची हो तो में उसकी भी अन्त करण से क्षमा चाहता हूँ। मुमे चतुर्मास के प्रचंध के संवन्ध मे श्री सेर चथीचंदजी गेगवाल ने पूर्ण सहयोग देकर सार उत्तरदायित्व अपने ऊपर लेकर युमे केवल नाम मात्र का




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