पद्मचरित भाग ३ | Paumchhriu Vol-3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये - Aadinath Neminath Upadhye
No Information available about आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये - Aadinath Neminath Upadhye
हीरालाल जैन - Heeralal Jain
No Information available about हीरालाल जैन - Heeralal Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ठिपाशीसमो संधि ३
रष्टूछती हुई (दो मार्गो्मे बिमक्त दो गई।) आधी असछी
छुभीषके पास री भौर भाषी नक सुधीणसे सा मिढी ॥९-६॥
[६) खात मद्धौदिणी सेना शर थी भौर साद ही उपर ¦
शख प्रर वह मापी-माषी वट गर । भङ्ग भीर भङ्गनु दोनों
बीर जिपटित हो गये । सङ्ग मायापुरी मिखा भीर समङ्ग
अन्द असझ्ी सुमीवको ! दोनों शिविरोमि रेषोनों मार्पषेसे दी
साह रहे ये जसे राव भौर विनम्र बन्दर जोर सूयं सोहे ₹। चाकि
के पुत्र वीर अस्द्र-किरणका चेहरा मी (छ्लोषसे ) तमतसा उठा |
यह भ्रमय देकर तारापेबीकी रक्षा करने छगा | शसने कह्टा--“सति
पुम इसके पास भागे सो मारे आ्लामोगे, युद्ध करते हुए तुममेंसे जो
ओवेगा इसे मैं तारादेवी सह्दिद समस्त राग्य म्पि कर वंगा 1?
परम्तु घन दोनोंमेंस एक भी थुद्धमें प्रदेश सह्दी पा रहा था। इठने
में सुप्रीषने नड भीर मीझसे कद्धा कि पाह धो बद्दी कहानी संभ
होना चाइसी हे कि ক্যান ( वूसरा दी ) परस्थोका गृइ-स्वामी हो
ग़मा | पक दूसरेको सदन न करत हुए मे छरा भपनी-भपनी
शछवाएर छेकर एक-हूसरंक निकट पद्ुखे । पे भापसमे सङ्नेषि
ही ये कि द्वाररशकोने रहें उसी प्रकार इटा विया जिस तरह
निखा ४स्मत्त गजोंको सहाबत इटा द॒तं दे ॥१-६॥)
[५७ ] स प्रकार नगरके छागोके इटा दनेपर मे दोनों नगण
इत्तर-वक्षिणमें स्थित द्वोकर छड़ने छगें। जब छड़तेछड़ते অনু
विन ब्यतीत दो गये तो इनुमान सहसा कुपित द1 उठा | 'भरमरः
८( बनाबटी ) छुप्रीवक्त मानमदन हो? यह कश्कर बह सुमट
संनाक॑ साय सभद्ध शो गया | भौर “मारो मारो” कहता हुआ वह
वद्दों जा पहुँचा। उसका शरीर वेग ओर इपेसे रहृछ रद्दा था ।
इसन कृडा--“मासा समीर पने मनम सिप्न न होमो । माया
User Reviews
No Reviews | Add Yours...