संशयतिमिरप्रदीप | Sanshytimirpradeep
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
195
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संशयतिभिरश्रदीप । १३
में नहीं आता कि जैनधम का पृथक पना कैसे जाना जा
सकेगा !
(११) गोमय से छुद्धि मानना ठौक नहीं है। में यह नहीं
समडइता कि पञ्चेन्द्रिया के पुरीष मे भी पवित्रता भोर
अपाधिभ्रता होती है ?
( १२) मुंडन करवाना ब्राह्मण लोगों का कर्म दे उसे जिनमत
से आविरुद्ध बतछाना सरासर अन्याय है ?
( १३) भादो शङ्क चतुदंश्षी के दिन कितने लोम तो जलके कलका
को द्रव्य के द्वारा न्योछावर करते € ओर कितने भग-
वान के चरणों पर चढ़ी हुई पुष्पमाला को करते हैं
मेरी समझ के अजुसार पहले वाला की कल्पना ठीक
डे क्योकि पुष्पमाला तो एक तरह निर्माल्य हो जाती
ই জীহ निमील्य के महण का कितना पाप होता है হী
तुम जानते ही हो ।
(१४ } खस्था के टिये सिद्धान्त पुस्तका का अध्ययन मनां
है इस में आप की क्या सम्मति हे ? यदह बात समश्च
मं नदीं अती । ओर फिर यदि ऐसा द्वी था तो इस विषय
के ग्रन्थ ही क्या रचे गये वे किनके काम में आवेगे
(१५) कन्या, हाथी; घोड़ा ओर सुवणं आदि पदार्था के दान
देने का जेन अथो मे स्थल २ पर निषेध हे ¦ परन्तु मने
कितने अच्छे २ विद्धानों के सुख से यह कहते शुना है
कि इन पदार्था के दान देने में कोई हानि की बात नदी
। यद्द आश्चर्य्य कैसा £
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