ज्योति प्रसाद | Jyoti Prasad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३ )
इसी लिये जीवन चरित्र साहित्य का एक बड़ा शङ्ख हे।
इतिहास में देशों, राष्ट्रों ओर जन समूह के आन्दोलनों का वर्णन
तथा उनके क्रमिक (६१५९) उत्थान या पतन का जिकर दता
हे, परन्तु जीवन चरित्र में एक आदमी की जीवन से मृत्यु तक
की कहानी होती हे और उसमे दूसरे आदमियों का उल्लेख--
चाहे वह आदमी कितने भी बढ़े क्यों न हो--गोण रूप से आता
है। पुराने जीवन चरित्रों मे लेखकों ने अपने चरित्र नायकों
(प्€08) की प्रतिष्टा तथा कीतिं का गाना गाया है ओर उनको
देवताओं के रूपमे संसार के सामने पेश किया है | प्रत्यक्ष
उपदेश उनमें टू स ठ्ूस कर भरा होता हे ।बुरे आदमियों को
क महा राक्षस, महा पतित श्रौर श्रधम चित्रित किया हे । उन
मे चरित्र नायक की परिस्थिति ओर उसके क्रमिक विकास का
बिलकुल पता नहीं मिलता। घमत्कारों, ऋद्धियों ओर इसी
प्रकार की बातों का इतना संग्रह कर दिया जाता है कि पढ़ने वाले
के हृदय में यह भाव पेदा हो जाता है कि यह्द किसी आदमी का
जीवन चरित्र नहीं है बल्कि किसी अलौकिक और अद्भुत व्यक्ति
का चरित्र है वह सममने लगता है कि ये सब बातें उसकी पहुँच से
परे हैं । इसलिये इस प्रकार के जीवन चरित्र आजकल कम पसन्द
किये जाते हैं और उन से पढ़ने वाले की उत्सुकता को सतोष नहीं
मिलता । बतेमान काल में जीवन चरित्र की श्रेष्टता इसी बात में
मानी जाती है कि वह किसी आदमी का सच्चा चित्र हो और उससे
उस आदमी की परिस्थिति का पूरा पता लग जाय क्योकि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...