भिक्खु दृष्टान्त | Bhikhu Drishtant

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Bhikhu Drishtant by श्रीमद् जयाचार्य - Shrimad Jayacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६१ ६२ ६२ ६४ ६५ दप ६७ গুল ६६ ७१ ७२ ७३ ७४ ७५, ४७७ এ ७६ ८१ ८२ ८३ ८४८ ८५ द साघु रो श्राचारः वताया सू केड निन्दा जाने तिन प्र साहुकार दिवाल्या रो दृष्टान्त सावद्यदान में मारे मौन है तिण उपर स्त्री धणी नो दृष्टान्त मिश्र श्रद्धा श्रोसखायवा उपर घणी रे नाम रो दृष्टान्त म्टें कद कह्यो थानक म्हारे वासते कीजो तिण उपर डावडा री सगाई व्याह रो दृष्टान्त सीरे जमाइ रो दृष्टान्त थारा वचावणा रह्या मारणा छोडो २५ २६ २६ २६ हिवडा पांचमो भ्रारो दं सो पूरो साधपणो न पले तिन उपर तेला रो दृष्टान्त २७ ए दोप लगाबे तोहि झ्रापा विचे तो आछा है यू कहैँ तिण उपर तेला माहे आधी रोटी खाण रो दृष्टान्त दण थानक उपर चुनो चढतो दीसे है रोग मिथ्यात सूप करडों ते करडा दृष्टान्त सू दटे आचार्य पदवी आणी तो कठिन है सूरदास री भ्रवे तो ्रटकाच नदी श्रावक साध श्रमाध री सका मिलया विना चदना करं नही कई सावद्यदान मे पुण्यं कहै तिण उपर सतखडिया महन मु पडण रो दृष्टान्त पोते कर दिखावि जद दूजा पिण माने इणरो दील भागो दीसे छ जोडी तो जुगती मिली दोन्‌ साच बोल है নাহ श्रगुल दा वटका चास्ते म्हारो माधपणो म्है गमावा याने इयो इ दरं हिवडां पाचमो ्रारो हैं पूरो साधपणों पले वहीं तिण पर साहुकार दिवाल्या से दृष्टान्त पूछने श्रद्धा लेसू कहे तिण पर पच कहसी सूतो हुवो तो ववां देम रो दृष्टान्त कुगुरा सू हेत राखे तेह पर मेरा रो दृष्टान्त खमावा तो जावो द्धौ पिण रखे नवो कजियो करोना इसी करामात हुवे तो अठासूइ वयू जायं उणारो मत खंडन करा छा तिनत्‌ कहे छे भ्राज पद इसी वीणदी कीज्यो मति ~< ~€ अआ या ~ डी ৮ ০৩ > 41 ४ ९0 छ ८ ০9 ~ =< =< © /9 = ल १५ ~ ~ ९ ~^ ५ „^




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